- मनोज सिन्हा की जगह योगी को चुनने से बढ़ी पूर्वाचल की सियासी ताकत

- हिंदू युवा वाहिनी का बढ़ेगा प्रभाव, पशु तस्करों पर लगेगी प्रभावी रोक

- पूर्वाचल के विकास को लेकर बढ़ी आस, पीएम मोदी का भी है खास फोकस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव में तीन दिन वाराणसी में बिताए तो साफ हो गया कि वह पूर्वाचल को खास तवज्जो दे रहे हैं। गोरखपुर में एम्स की स्थापना के साथ फर्टिलाइजर फैक्ट्री के पुनरुद्धार का फैसला लिया गया तो केंद्र सरकार के पूर्वाचल पर फोकस किए जाने को लेकर तमाम अटकलें भी लगायी जाने लगी। चुनाव में बहुमत मिला तो सारी कडि़यां आपस में जुड़ने लगी। चौबीस घंटे पहले तक मनोज सिन्हा को बतौर सीएम देखा जा रहा था तो शनिवार को बाजी तो पलटी लेकिन पलड़ा पूर्वाचल का ही भारी रहा। गोरखपुर समेत आसपास के इलाकों में पिछले कई सालों से हिंदुत्व का परचम लहरा रहे योगी आदित्यनाथ को देश के सबसे बड़े राज्य का मुखिया बनाकर भाजपा ने अपनी भविष्य की राजनीति का रोड मैप जनता के सामने पेश कर दिया।

पश्चिम से कोई दावेदार तक नहीं

पिछले एक हफ्ते से सीएम चेहरा चुनने को लेकर जारी उथल-पुथल के बीच खास बात यह रही कि पश्चिमी उप्र में उम्मीद से ज्यादा सीटें जीतने के बावजूद कोई भी कद्दावर नेता बतौर सीएम प्रत्याशी अपनी दावेदारी पेश नहीं कर सका। वहीं भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने चुनाव के दौरान ही उन्हें बतौर सीएम प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया था। गोरखपुर में अमित शाह के रोड शो को सफल बनाकर योगी आदित्यनाथ ने राजनीतिक कुशलता का परिचय दिया जिसके बाद सीएम बनने की उनकी राह के रोड़े दूर होते चले गये। योगी ने पश्चिमी उप्र में भी तमाम जनसभाएं की जिसने उन्हें और लोकप्रिय बना दिया। पिछले कई सालों से गोरखपुर से लेकर आजमगढ़, बहराइच इत्यादि सीमावर्ती जिलों में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हिंदू युवा वाहिनी लगातार हिंदू हितों की रक्षा के लिए अभियान चला रही थी। गौरक्षा समेत कई अभियान उन्हें लगातार लोकप्रिय बनाते जा रहे थे। गोरखपुर की सभी सीटों को उन्होंने भाजपा के पाले में डालकर अपनी ताकत का अहसास भी करा दिया जिससे वे सबसे मजबूत उम्मीदवार बन गये। आलम यह रहा कि योगी के मुकाबले किसी भी नेता की दावेदारी केंद्रीय नेतृत्व के सामने टिक नहीं सकी। जिस तरह पीएम मोदी द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान श्मशान और कब्रिस्तान का मुद्दा उठाया गया उसे योगी आदित्यनाथ ने अपनी जनसभाओं में जमकर प्रचारित करके अपने लिए बड़ा सियासी मुकाम तय कर लिया।

पूर्वाचल में होगा विकास

योगी के सीएम बनने के साथ ही पूर्वाचल के लिए राज्य सरकार अपना खजाना खोल सकती है। मीडिया से बातचीत में योगी ने इसके संकेत देते हुए कहा कि पीएम मोदी के विकास का एजेंडा ही उनकी पहली प्राथमिकता है। योगी को करीब से जानने वालों की मानें तो पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपनी छवि बदलने की कोशिश भी की है। आक्रामक राजनीति की उनकी पहचान अब सरल व्यक्तित्व में बदलती जा रही है। वहीं कुछ का यह भी मानना है कि यूपी में कल्याण सिंह की सरकार जिस तरह लोकप्रिय थी, उसी फार्मूले के तहत योगी का भी चुनाव किया गया है। पूर्वाचल से मिला सीएम यदि विकास की बयार बहाने में सफल रहता है तो इसका सीधा असर पड़ोसी राज्यों की राजनीति पर भी पड़ेगा। खासकर बिहार में, जहां भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। वहीं हिंदूवादी नेता को सीएम बनाने का प्रयोग यदि सफल रहा तो दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी से फिर से पिछले लोकसभा चुनाव और हालिया विधानसभा चुनाव की तरह बड़ी सफलता मिल सकती है।