इंश्योरेंस में आया एफडीआई

मोदी सरकार ने बीमा क्षेत्र में 49 परसेंट तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही सरकार ने इस बात को क्लियर कर दिया है कि 49 परसेंट स्टॉक के बाद भी बीमा कंपनियों का प्रबंधन और नियंत्रण कंपनी के इंडियन फाउंडर्स के हाथ में ही रहेगा.  सरकार ने इसके लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति ली है.

मोदी की कमेटी ने लिया डिसीजन

पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने बीमा सेक्टर में एफडीआई को 26 परसेंट से बढ़ाकर 49 परसेंट करने का निर्णय लिया है. इस समिति ने बीमा कानून विधेयक में काफी समय से लंबित संशोधन को मंजूर कर लिया है. इसके बाद इस संशोधन को संसद में लाया जाएगा. गौरतलब है कि फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने अपनी बजट स्पीच में इंश्योरेंस क्षेत्र में निवेश की कमी की ओर इशारा किया था.

2008 से लटका था मामला

बीमा क्षेत्र में एफडीआई शुरू करने का प्रस्ताव 2008 से लंबित है. हालांकि पूर्ववर्ती सरकार ने इसके लिए बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पेश किया था जिसे भाजपा के विरोध के चलते राज्यसभा में पास नही किया जा सका. गौरतलब है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा ने ही इस संशोधन को मंजूरी दे दी है. बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार अधिनियम को 1999 में लागू किया गया था और 2000 में इंश्योरेंस क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला गया. यह दोनों बड़ी घटनाएं भाजपा सरकार के काल में ही हुईं. दरअसल उद्योग जगत इस संशोधन की काफी समय से डिमांड कर रहा था ताकि इस क्षेत्र का उचित विकास हो सके.

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