सस्ती चीजें अब भी बिक रही महंगी

जीएसटी काउंसिल ने तकरीबन 200 वस्तुओं पर जीएसटी की दरें घटा दी हैं। ज्यादातर चीजों को 18 प्रतिशत के स्लैब से घटा कर 5 प्रतिशत के स्लैब में ले आया गया है। लेकिन दुकानदार तरह-तरह का बहाना बना कर ग्राहकों को इसका फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं। कभी कहते हैं कि पुराना माल है जब हमने 18 प्रतिशत जीएसटी दिया है तो आपको 5 प्रतिशत पर कैसे बेच सकते हैं। कभी कहते हैं कि इस सामान पर जीएसटी दर कम नहीं हुई है। फिलहाल शहर के व्यापार संघ का कहना है कि जीएसटी की घटी हुई दरों का फायदा ग्राहक तक पहुंचाने में अभी वक्त लगेगा।

gst में 200 चीजें सस्‍ती देखें पूरी लिस्‍ट,अभी भी मिले महंगी तो यहां करें तुरंत कंप्‍लेन,सरकार बनाएगी अथॉरिटीएक क्लिक पर जानें जीएसटी की सभी वस्तुओं की दर

गलत बिलिंग की करें यहां कंप्लेन

आपको दुकानदार ने जो बिल दिया है उसमें जीएसटी की दरें ऊपर दिए गए वेबसाइट वाले रेट लिस्ट से मैच नहीं कर रही हैं तो पहले आप दुकानदार से शिकायत करें। यदि वह आना-कानी करता है तो उसे सही दर बताएं। इसके बावजूद वह अपनी बात पर अड़ा रहता है तो आप नीचे दिए गए ईमेल पर कंप्लेन करें। अपनी बिल की स्कैन कॉपी भी मेल पर अटैच करें। दुकानदार का नाम, पता और पूरी बातचीत का ब्यौरा दें।

helpdesk@gst.gov.in

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बिना रजिस्ट्रेशन कुछ दुकानदार वसूल रहे फर्जी जीएसटी, ऐसे करें चेक

ग्राहकों को नहीं दिया फायदा तो होगी कार्रवाई

घटी दरों पर जीएसटी का फायदा कोई कंपनी ग्राहकों को नहीं देती है तो जीएसटी एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगी। इसके तहत वह कंपनी का पंजीकरण रद कर सकती है। वह कंपनी के खिलाफ पेनाल्टी भी लगा सकती है।

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जानें जीएसटी के 15 अंकों को

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जानें कैसे काम करेगी जीएसटी एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी

- जीएसटी एंटी प्रॉफिटियरिंग व्यवस्था में लोकल कंप्लेन पहले स्टेट लेवल की स्क्रीनिंग कमेटी के पास जाएगी और जो शिकायतें नेशनल लेवल की होंगी वह स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाएगा।

- कमेटियां कंप्लेन की शुरुआती परख करेंगी इसके बाद जांच के लिए डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सेफगार्ड को फारवर्ड कर देंगी।

- डीजी सेफगार्ड को जांच के लिए 3 महीने का टाइम दिया जाएगा। सेफगार्ड जांच के बाद अपनी रिपोर्ट जीएसटी एंटी प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी को देगा।

- अथॉरिटी को लगेगा कि कंपनी ने जीएसटी की घटी दर या सही रेट का फायदा ग्राहकों को नहीं दिया है तो वह संबंधित कंपनी को वंचित लाभार्थी को लाभ देने का आदेश देगा। यदि लाभार्थी ग्राहक की पहचान नहीं हो पाएगी तो यह राशि कंपनी को उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराना होगा।

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असली-नकली जीएसटी नंबर पहचानने के लिए यहां करें क्लिक

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