कैबिनेट के इस फ़ैसले से देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन का रास्ता साफ़ हो गया है.

आंध्र प्रदेश सरकार के आंध्र समर्थक कर्मचारियों ने तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोकसभा सांसदों के घरों के बाहर प्रदर्शन किया.

आंध्र प्रदेश नॉन गज़टेड ऑफ़िसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. अशोक बाबू ने खेद जताया कि दोनों क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि राज्य के बंटवारे को रोक नहीं पाएं.

विरोध तेज़

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सीमांध्र कांग्रेस के नेताओं ने एक बैठक कर कहा है कि प्रदेश विधानसभा में तेलंगाना के गठन का प्रस्ताव लाया जाता है तो वे उसका विरोध करेंगे.

इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तेलंगाना के गठन का विरोध करने वाले कम से कम दो मंत्रियों ने इस्तीफ़े की पेशकश की है.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू और पर्यटन मंत्री चिरंजीवी ने कैबिनेट के फ़ैसले के विरोध में बीती रात इस्तीफ़े की पेशकश की.

तेलंगाना गठन के विरोध में आंध्र में बंद

इससे पहले गुरुवार की शाम कैबिनेट की क़रीब दो घंटे तक चली बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, ''आंध्र प्रदेश से अलग पृथक तेलगांना के गठन की मंज़ूरी दी गई है.''

उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने नए राज्य के गठन के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाने की भी मंज़ूरी दी है.

हैदराबाद अगले 10 सालों तक तेलंगाना और सीमांध्र की संयुक्त राजधानी होगी.

शिंदे ने कहा कि मंत्री समूह राज्य के बंटवारे के तरीक़ों के बारे में विचार करेगा.

इस फ़ैसले के बाद राज्य के तीनों क्षेत्रों के लोगों को सभी मौलिक अधिकार प्राप्त होंगे.

इस बारे में बीबीसी ने हैदराबाद में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार किंगशुक नाग से बात की.

उनका कहना है कि कैबिनेट के इस फ़ैसले से सीमांध्र में असंतोष का माहौल है. आने वाले दिनों में क्षेत्र में बंद और प्रदर्शनों का दौर जारी रहेगा.

तेलंगाना के गठन से राज्य और देश की राजनीति पर असर के बारे में उन्होंने कहा कि बंटवारे का विरोध कर रही पार्टी को सीमांध्र में सबसे ज्यादा फ़ायदा होने वाला है.

उन्होंने कहा कि तेलंगाना के गठन के बाद देश के अन्य इलाक़ों में भी नए राज्यों की मांग तेज़ होगी और अगले 4-5 सालों में कुछ और नए राज्य बन सकते हैं.

अनशन

इससे पहले 30 जुलाई को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में तेलंगाना के गठन को मंज़ूरी दी गई थी.

तेलंगाना के लिए आंदोलन चलाने वाले तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव के अनशन पर बैठने के कारण नौ दिसंबर, 2009 को केंद्र सरकार ने इसके गठन की घोषणा की थी. लेकिन बाद में वह मुकर गई थी.

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