उन्होने कह दिया है कि वह राहुल गांधी और कैबिनेट से बातचीत करेंगे, कोर ग्रुप दोबारा मिलेगा औऱ जो भी आपत्तियां हैं उन्हे रखा जाएगा.

मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में निर्णय के बाद भी आपत्ति जताने का हक़ होता है. तो मेरे ख़्याल से रास्ता साफ़ है कि अध्यादेश वापस ले लिया जाएगा.

हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि जहां कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अध्यादेश की मुख़ालफ़त की वहीं बीजेपी ने भी अपना स्टैंड बदला था. सर्वदलीय बैठक में तो पार्टी राज़ी हो गई. लोकसभा में पारित होते वक्त भी पार्टी ने विधेयक पारित होने दिया. राज्यसभा में जाने के बाद इसे स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया था.

दोनों पार्टियों ने जो भी किया है वह आम राय का दबाव है दूसरा जैसा बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था. उन्होने मंत्रियों को बुलाकर यह पूछा था कि इस वक्त जब बिल पहले से स्टैंडिंग कमेटी में है तो  अध्यादेश लाने की क्या ज़रूरत पड़ गई है.

मेरे ख़्याल से राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया को देखते हुए प्रधानमंत्री के पास कोई चारा है भी नहीं.

राहुल गांधी का बयान

राहुल गांधी इस बात को बहुत अलग तरह से रख सकते थे लेकिन उन्होंने शायद कड़े शब्दों का इस्तेमाल करना बेहतर समझा.

मैं समझती हूं उन्होने ठीक ही किया कि इसे रोक लिया हालांकि उनकी आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि पहले जब ये संसद में आया तो उन्होने कुछ क्यों नहीं कहा. देर आए दुरूस्त आए.

राजनैतिक हलके में अब इस बात को लेकर मंथन होगा कि किस तरह के उम्मीदवार उतारें जाएं क्योंकि नैतिक दबाव होगा. लेकिन फिर भी मैं कहूंगी कि चूंकि इसमें प्रधानमंत्री का नाम शामिल था और वे विदेश में थे तो अगर राहुल ये कहते कि जैसे ही मनमोहन सिंह वापस आएंगे उनसे बात की जाएगी और हम इसे वापस लेंगे तो बात कुछ और होगी.

हालांकि बहुत से लोग ये मानते हैं कि उन्होंने इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया इसी वजह आज स्थिति ये बन पाई है लेकिन प्रधानमंत्री अपने आप में एक संस्था है, उसकी  इज़्ज़त हम सबकी इज़्ज़त है.

इस्तीफ़े की अटकलें

क्या होगा अध्यादेश का भविष्य?राहुल गांधी ने कहा था कि अध्यादेश को फाड़ कर फेंक देना चाहिए

इसी के साथ उन सभी अटकलों पर भी विराम लग गया है कि प्रधानमंत्री शायद इस्तीफ़ा देंगे और राहुल गांधी को कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाएगा.

मेरे ख़्याल से प्लान वो था भी नहीं क्योंकि सोनिया गांधी ने तुरंत राहुल से प्रधानमंत्री के नाम ख़त लिखवाया जिनमें उन्होने कहा कि वे प्रधानमंत्री की बहुत इज़्ज़त करते हैं औऱ उनका अपमान करना मकसद नहीं था.

बुधवार को कोर ग्रुप की जो बैठक है मुझे लगता है उसमें इसे वापस लेने का निर्णय कर लिया जाएगा. प्रधानमंत्री अपने शब्दों से इस बात का आभास दे रहे हैं.

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