-सभी गुट को एक साथ लेकर सीएम ने खेला दांव

-अमृता रावत की नाराजगी न पड़ जाए सरकार पर भारी

DEHRADUN : लोकसभा परिणाम के तुरंत बाद डैमेज कंट्रोल में जुटे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पार्टी के सभी गुट को एक साथ लाने का सफल प्रयास किया। किसी को संसदीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई तो किसी को कैबिनेट मंत्री स्तर का दायित्व दिया गया। सोमवार को हुए राजनैतिक दांव-पेंच के खेल में सीएम ने भले ही बाजी मार ली हो, लेकिन पॉलिटकल पंडित अभी प्रदेश सरकार को खतरे से बाहर नहीं मान रहे। इसके पीछे भाजपा नेता और पूर्व कांग्रेसी सांसद सतपाल महाराज का कांग्रेस में आज भी गहरी पैठ को वजह माना जा रहा है।

पार्टी को एकजुट करने का प्रयास

चुनाव में मिली करारी शिकस्त का दुष्प्रभाव विधायकों के टूटने के रूप में सामने न आए इसके लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सधी हुई राजनैतिक पारी खेली। विजय बहुगणा व सतपाल महाराज के नजदीकी माने जाने वाले सभी विधायकों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी में एका बनाए रखने का भरसक प्रयास किया। प्रदेश सरकार द्वारा कैबिनेट मंत्री व भाजपा नेता सतपाल महाराज की पत्नी को बाहर का रास्ता दिखाया जाना इसी कड़ी में एक कदम माना जा रहा है। सीएम को उम्मीद है कि इसके जरिए पार्टी में चल रही गुटबाजी को काफी हद तक समाप्त किया जा सकता है।

अमृता का जाना न पड़ जाए भारी

प्रदेश सरकार के मुखिया और कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता इस बात को भली-भांति जानते हैं कि सतपाल महाराज भाजपा में रहकर भी कांग्रेस को ठीक-ठाक नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में अमृता रावत से कैबिनेट से बाहर करना नुकसान को और बढ़ा सकता है इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी खुद को बाहर किए जाने से पहले अमृता रावत ने जिस तरह का हमला किया उससे मुख्यमंत्री भी सकते में आ गए होंगे। उन्होंने साफ कहा कि लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए खुद हरीश रावत को इस्तीफा दे देना चाहिए। सीएम द्वारा बीते क्म् तारीख के बाद जिस तरह से प्रयास किए गए उससे डैमेज कंट्रोल तो जरूर हुआ, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।