सात परसेंट को ही 100 दिन रोजगार

कैग की रिपोर्ट में बिहार में चल रहा मनरेगा कार्यक्रम सवालों के घेरे में आ गया है. इसमें बताया गया है कि वर्ष 2007-12 के दौरान राज्य मनरेगा के 9684 करोड़ रुपये से वंचित रहा. इस दौरान एक से सात फीसद परिवार को ही 100 दिन का रोजगार मिल सका, जबकि एक परिवार को एक से अधिक जॉब कार्ड दिया गया. इसके अलावा सामाजिक अंकेक्षण भी मुनासिब नहीं रहा, जबकि गबन के मामले भी सामने आए. रिपोर्ट में मनरेगा के तहत अंकित थोक भाव में गड़बडिय़ां मिली हैं.

अयोग्य ठेकेदारों को काम

रिपोर्ट में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ निर्माण में अयोग्य ठेकेदारों को 853.45 करोड़ रुपये का काम अनियमित तरीके से दिया गया. ऐसे में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत हो रहा सडक़ों का निर्माण अधर में फंस गया है. आलम यह है कि 119.77 करोड़ रुपये खर्च किए जाने के बावजूद तय समय में एक भी सडक़ का निर्माण पूरा नहीं हुआ.

तटबंधों का मामूली निर्माण कार्य

सरकार की अनदेखी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बाढ़ से सुरक्षा के लिए रुपया उपलब्ध होने के बावजूद नए तटबंधों का मामूली निर्माण ही कराया गया. इस दौरान 1535 किलोमीटर नए तटबंध के निर्माण का लक्ष्य महज 61.47 किलोमीटर तक सिमटकर रह गया. इतना ही नहीं जल संसाधन विभाग में त्रुटिपू्रर्ण निविदा सहित अन्य लापरवाहियों के चलते 103 करोड़ रुपये की हानि भी हुई है.

खाते में पड़ा रहा स्वास्थ्य सेवाओं का पैसा

स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए जारी नौ अरब 21 करोड़ 32 लाख रुपये विभाग एवं निर्माण एजेंसियों की सुस्ती के चलते खाते में ही पड़े रह गए. इसके अलावा राजधानी के 320 आवासों में बिजली चोरी की घटनाएं भी कैग रिपोर्ट में उजागर हुईं. इनमें से 281 आवास पुलिस के हैं.

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