- गुरुवार को विस सत्र के दौरान सदन में पेश की गई कैग रिपोर्ट

- कई अनियमितताएं आईं सामने, ओडीएफ की घोषणा थी गलत

देहरादून, विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पेश की गई कैग रिपोर्ट में कई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ। रिपोर्ट में वर्ष 2017 में राज्य को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) करने की घोषणा पर सवाल खड़े हुए हैं। बताया गया है कि राज्य द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीणा) के लिए की गई प्लानिंग और इंप्लीमेंटेशन पर्याप्त नहीं था। मार्च 2017 तक 546 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों व 4485 ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन संरचनाओं के लक्ष्य के सापेक्ष केवल 63 और 50 का ही निर्माण किया गया था। यह भी खुलासा हुआ कि केंद्र सरकार के पोर्टल पर लाभार्थी आंकड़ों को अपडेट नहीं किया गया था, जिससे करीब एक लाख लाभार्थी बाहर हो गए थे।

दून व हरिद्वार के निगमों की खुली पोल

कैग रिपोर्ट में नगर निगम दून व हरिद्वार के पास कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए रूपरेखा, प्रस्तुतिकरण व समयबद्ध क्रियान्वयन की कोई योजना ही नहीं थी। दोनों निगमों ने ज्यादा धनराशि खर्च करने के बाद भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में कोई सफलता हासिल नहीं की। हरिद्वार में 1.21 करोड़ की लागत के 9 वाहन जून 2013 से बेकार खड़े थे। जबकि दून निगम की निकाय सीमा के तहत प्लांट की क्षमता 200 मीट्रिक टन रोजना निर्धारित थी, लेकिन वास्तव में 257 मीट्रिक टन वेस्ट पैदा हो रहा था। दोनों निगमों में मैन पावर, उपकरण, कूड़दान, वाहनों की कमी के कारण सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में एक्टिवेशन सिस्टम बेहद खराब रहा।

दून नगर निगम में यह खामियां

-257 में से 200 मीट्रिक टन कूड़े का कलेक्शन।

-जैविक और अजैविक कूड़े का वर्गीकरण नहीं।

-कूड़े के लिए ढके वाहनों में केवल 7 प्रतिशत।

-कूड़े को ट्रंचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है, साइकिलिंग प्रक्रिया में देरी।

बिलों का भुगतान संदिग्ध

कैग की रिपोर्ट में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत दावों की प्रमाणिकता ज्ञात किए बिना भुगतान किए जाने के कारण किराए पर लिए गए वाहनों पर 1.25 करोड़ का संदिग्ध गबन होना बताया गया है। सीएमओ ऑफिस के दस्तावेजों के निरीक्षण में पाया गया कि मई 2015 में किराए पर ली गई टैक्सियों के 41 बिलों का 18.60 लाख का भुगतान भी संदिग्ध है। खनन विभाग में जिला खनन अधिकारी देहरादून के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि जुलाई व अगस्त 2015 के दौरान अवैध खनन से संबंधित 17 वाहनों को पुलिस ने जब्त किया। 17 मामलों में दंड संशोधित दर दो लाख के बजाय पुरानी दर 25 हजार रुपए के आधार पर वसूली की गई, जिससे 29.75 लाख रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ।