अपना सारा काम बहू से कराने वाली सास आज अपनी बहुरिया के लिए दिन रात एक किये है। वार्ड का कोना कोना छान रहीं हैं। लोगों से अपनी बहू के लिए वोट की भीख मांग रही हैं। ऐसा एक दो वार्ड में नहीं बल्कि सिटी के अधिकतर वार्ड में इलेक्शन लड़ रही बहुओं की सास कर रही हैं। खास बात यह कि इनका साथ ननद भी निभा रहीं है। वो भी अपना सारा काम धंधा छोड़ कर इस समय प्रचार में ही जुटी हुई हैं। गली गली कर रहीं प्रचार

इस पूरे सीन का सबसे दिलचस्प पक्ष ये है कि सासू मां सबके सामने अपनी बहू की खूबियां भी बयान कर रही हैं। उनसे अपने बहू का समर्थन करने की अपील भी कर रही हैं। जो सास कभी घर से नहीं निकलती थीं वो आज कई कई किमी पैदल चल रही हैं। गलियों व मुहल्लों की खाक छान रहीं हैं। जिन इलाकों को उन्होंने कभी देखा नहीं था वहां वो इस समय डेरा डाले हुए हैं। सुबह ही निकल जा रही हैं और देर रात वापस घर लौट रही हैं।

बांट रही पैमफ्लेट, जोड़ रहीं हाथ

अपनी बहू को जिताने के लिए सासु मां केवल हैंडबिल व पैमफ्लेट ही नहीं बांट रही हैं। बल्कि लोगों को हाथ जोड़ कर विनती भी कर रही हैं। क्या छोटा, क्या बड़ा, क्या जेंट्स और क्या लेडिज। सबसे बस एक ही गुजारिश बहू का कर दो बेड़ा पार। यही नहीं वो तरह तरह का आश्वासन भी दे रही हैं। फलां इलाके में बहू के जीतने पर यह काम हो जाएगा और अगर बहू पार्षद बन गयी तो वॉर्ड में कोई भी काम अधूरा नहीं रहेगा।

कई जगह तो पूरे इलेक्शन की कमान सास ही संभाले हुए हैं। लेडिज की टोली किस इलाके में जाएगी और जेंट्स की टोली कहां जाएगी, यह सब वह खुद तय कर रही हैं। इसके अलावा सासु मां बहू को जिताने के लिए टेंपो हाई का नारा भी लगा रही हैं. 

ये भी नहीं पीछे

बहु को वार्ड का रिप्रेजेंटेटिव बनाने के लिए केवल सास व ननद ही दिन रात एक नहीं किए हुए हैं। पति, जेठ, जेठानी, देवर और भाई भी कैंप किए हुए हैं। सुबह से लेकर देर रात तक कैंपेन कर रहे हैं। यही नहीं कई इलाकों में पति के लिए पत्नी भी दिन रात प्रचार कर रही हैं। मुहल्ला मुहल्ला घूम रही हैं।

यह काम वह अकेले नहीं कर रहीं हैं बल्कि उनके साथ महिलाओं की टीम है। कई कैंडिडेट्स के पूरे इलेक्शन का संचालन पत्नियों के हाथ में है। कौन कहां जाएगा, किसको क्या करना है, इलेक्शन सामग्री कहां पहुंचाना है, किसको देना है जैसे काम वे खुद संभाले हुए हैं।