- गोमती नदी को स्वच्छ बनाने के लिए आई नेक्स्ट की इस मुहिम से जुडि़ये

- गोमा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए लखनवाइट्स को आना होगा आगे

LUCKNOW: यूपी की राजधानी लखनऊ की लाइफ लाइन गोमती नदी है। इसी गोमती नदी का पानी हम और आप पीते हैं। शहर के विभिन्न इलाकों में इसकी सप्लाई की जाती है। आइये हम लोग एक अभियान शुरू करते हैं गोमती नदी की सफाई का। आई नेक्स्ट के इस अभियान में डीएम ने पहले ही तैयारी कर ली है और जल्द ही इसके लिए तमाम विभागों के साथ एक बैठक करेंगे। ऐसे में लखनऊ का नागरिक होने के नाते कर्तव्य ही नहीं बल्कि हमारा यह दायित्व बनता है कि इसकी सफाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। हमें उम्मीद है कि इस अभियान में हजारों हाथ आगे बढ़ेंगे। यहां न धर्म की दीवार आड़े आएगी और न ही जाति का कोई बंधन। रोड पर चलने वाले आम इंसान से लेकर एसी में रहने अति विशिष्ट लोगों को इसके लिए प्रयास करने होंगे जिससे यह प्रदूषण मुक्त हो सके।

क्यों प्रदूषित है गंदगी?

इससे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर गोमती कहां से प्रदूषित हो रही है और उसे प्रदूषण से बचाए जाने के लिए अब तक क्या-क्या प्रयास किए गए हैं। लखनऊ में गोमती के असली दुश्मन तो नाले हैं जो गोमती के साफ पानी को मैला कर रहे हैं। कुडि़याघाट से लेकर गोमती नगर तक तमाम जगह जलकुंभी जमी हुई है।

क्यों फेल हुए एसीटीपी प्लांट?

गोमती नदी में ख्म् नालों से निकल रहा फ्7 करोड़ लीटर (फ्70 एमएलडी) मलमूत्र सीधे नदी में गिर रहा है। दौलतगंज में बना एसटीपी भी फेल हो चुका है। भैसोरा में बने एसटीपी प्लांट का हाल यह है कि एक भी नाला इससे जोड़ा ही नहीं गया। इन नालों को गोमती में डायरेक्ट गिरने से बचाने के लिए प्लान भी बनाए गए है। लेकिन अब तक गोमती की सफाई पूरी नहीं हो सकी है। गोमती नदी की सफाई अभियान से पिछले दस सालों से जुड़े शुभ संस्कार समिति के महामंत्री ऋद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि गोमती नदी के सफाई के लिए सरकारी तंत्र ने बहुत पैसा खर्च किया है लेकिन अभी तक गोमती का मैली ही है। ऐसा नहीं है कि गोमती के प्रति सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। आंकड़ों की माने तो अब तक गोमती सफाई के लिए लगभग 900 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च की जा चुकी है। ख्000 से गोमती नदी की सफाई का अभियान शुरू हो गया था। सबसे पहले गोमती नदी की सफाई के लिए ख्म्फ् करोड़ फिर ब्ब्0 करोड़ उसके बाद क्70 करोड़ दिए गए।

लौटने लगा नाले का पानी

गोमती सफाई अभियान के लिए दो एसटीपी प्लांट लगवाए गए। इसमें एक दौलत गंज में बना है और दूसरा चिनहट के पास भेवरा में दूसरा। दौलतगंज में लगा एसटीपी प्लांट काम कर तो रहा है। लेकिन जितनी इसकी क्षमता है उससे ज्यादा उस पर लोड है। इस प्लांट में ब्ख् एमएलडी (मिलियन लीटर ड्रेनेज) की है। जबकि यहां पर सरकटा नाला, पाटा नाला, गऊघाट और नगरिया नाले इससे कनेक्ट किया है। ऐसे में क्8म् एमएलडी की क्षमता वाले एसटीपी की जरूरत है। ऐसे में यहां पर आने वाले नाले को ब्लॉक भी नहीं कर सकते। नाले का पानी वापस शहर में लौटने लगेगा। ऐसे में इसे आगे खोल दिया जाता है और यह गोमती में गिरता है। भरवारा केपास बने दूसरे एसटीपी में शहर भर के नाले का लिफ्ट कर इसमें जोड़ा जाना है। लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हो सका है। सरकारी मशीनरी के अनुसार यह काम पूरा किया जा चुका है। यहां पर रीवर बैंक, हैदर कैनाल, पेपर मिल समेत कई नाले सीधे गोमती में गिर रहे हैं। इन्हें लिफ्ट कर भरवारा वाले एसटीपी से जोड़ना होगा।

क्या होना चाहिए?

- दौलतगंज में बने एसटीपी की क्षमता को बढ़ाया जाए।

- जो नाले अभी तक भेवरा में बने एसटीपी से जोड़े नहीं जा सके हैं, उन्हें लिफ्ट कर यहां जोड़ा जाए।

- शहर के बीच पड़ने वाली क्म् किमी गोमती नदी से सिल्ट निकाल दी जाए।

- सांसद ने क्या दिया

सांसद राजनाथ गोमती को लेकर एक्शन प्लान तो तैयार कर रहे है लेकिन अभी तक गोमती सफाई के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं दिया है।

कितनी धनराशि की जरूरत

ऋद्धि किशोर गौड़ के अनुसार क्00 करोड़ और खर्च कर दिया जाए तो गोमती सफाई का सपना सच हो सकता है।

पब्लिक से उम्मीदें

- गोमती नदी में हर थर्सडे को सफाई अभियान चलता है। पब्लिक इसमें हिस्सा ले सकती है।

- शहर में पॉलीथिन का प्रयोग बंद होने पर भी गोमती की सफाई बेहतर हो सकेगी।

- मूर्ति और पूजन सामग्री गोमती में विसर्जित ना करे। इसके लिए गड्ढे बनाए गए हैं, उसमें ही ये सामग्री डाले।

- जितना हो सके प्लांटेशन करे।

सरकार के साथ-साथ जनता की भी जिम्मेदारी है कि वह गोमती को साफ रखें। नदी में कूड़ा-कचरा न डालें और नदी को साफ करने में श्रमदान करें।

डॉ। दिनेश शर्मा

मेयर, लखनऊ।