- लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार चुनाव के चार मोड्स

-कानपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ जैसे विश्वविद्यालय में इनडायरेक्ट इलेक्शन होना चाहिए

-डीडीयूजीयू में लगी है चुनाव पर रोक

-सिफारिशों केअनुसार कौन सा विश्वविद्यालय किस मॉडल को फॉलो करेगा ये स्पष्ट नहीं

GORAKHPUR: सपा सरकार को प्रदेश की सत्ता संभाले दो साल से ज्यादा हो गया है। सपा सरकार ने चुनाव के दौरान वादा किया था कि बसपा सरकार द्वारा लगाए छात्रसंघ चुनाव पर रोक को वे हटाएंगे। आज हालत यह हैं कि छात्रसंघ चुनाव की बहाली पर प्रदेश सरकार मौन है। वहीं इसको लेकर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी (डीडीयूजीयू) के स्टूडेंट्स अपनी आवाज मुखर कर रहे हैं। उनका कहना है कि आखिर कब तक वे अपनी प्रॉब्लम्स को लेकर भटकते रहेंगे। आखिर उन्हें भी अपना प्रतिनिधित्व चाहिए जो उनकी प्रॉब्लम उचित मंच पर रखे सके और उनका निदान कर सके। उनका तर्क है कि जब तक छात्रसंघ चुनाव नहींहोंगे तब तक वे राजनीति में अपना कैरियर कैसे बनाने की सोचें।

छात्रों को करनी पड़ती है प्रॉब्लम फेस

गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई का सिलसिला शुरू हो चुका है। डीडीयू प्रशासन भी सेशन को नियमित करने का प्रयास कर रहा है। कैंपस में स्टूडेंट्स में छात्रसंघ चुनाव को लेकर भी चर्चा है, उनका कहना है कि प्रदेश सरकार को अपना वादा पूरा करते हुए छात्रसंघ चुनाव को बहाल कर देना चाहिए। उनकी शिकायत है कि इसको लेकर जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हैं। वहींनिर्वतमान डीडीयूजीयू प्रेसीडेंट श्रीकांत मिश्र ने कहा कि अब छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक को हटा देना चाहिए। बता दें कि ख्00म् में सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर फैसला दिया था कि कैंपस पहले स्टूडेंट्स के लिए न कि स्टूडें्टस लीडर्स के लिए। इसी को आधार बनाकर ख्007 में तत्कालीन प्रदेश सरकार (बसपा) ने छात्रसंघ चुनावों की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। अगर बात करें डीडीयूजीयू की तो यहां अंतिम बार छात्रसंघ चुनाव ख्00म् में हुए थे। ख्0क्ख् में सपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले युवा वोटर्स से वादा किया था कि सत्ता

आने के बाद वे छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक हटाएंगे। छात्रसंघ चुनाव पर रोक के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय के रिचर्स स्कॉलर प्रदीप शुक्ला ने लिंगदोह कमेटी के सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा था कि पहले गवर्नमेंट को यूपी के विश्वविद्यालयों का पहले वर्गीकरण करना चाहिए, ताकि चुनाव हो सकें। इसके लिए उसने प्रदेश सरकार को कई चिट्ठी लिखी, लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।

सरकार और विश्वविद्यालयों ने फैलाया भ्रम

लिंगदोह समिति ने अलग-अलग वर्ग के विश्वविद्यालयों के लिए अलग-अलग मॉडल सुझाए थे। लिंगदोह समिति ने चुनाव के चार मॉडल सुझाए थे, लेकिन जो शासनादेश सरकार ने भेजा उसमें सिर्फ ये लिखा था कि चुनाव लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक होने चाहिए। लिंगदोह की सिफारिशों के अनुसार कौन सा विश्वविद्यालय किस मॉडल को फॉलो करेगा ये नहीं स्पष्ट किया गया। ज्यादातर विश्वविद्यालय ने भी कॉलेजेज को यही लिख कर भेज दिया कि लिंगदोह की सिफारिशों को लागू किया जाए। ज्यादातर कॉलेजेज को पता ही नहीं था कि सिफारिशों के मुताबिक किस मॉडल पर चुनाव कराना है। नतीजा ये हुआ कि कई कॉलेजेज ने पुरानी पद्धति पर चुनाव करा डाले जो कि अवैध था। कुछ कॉलेज ने लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार चुनाव कराने की कोशिश की तो छात्रनेताओं ने उनका विरोध किया। अलग-अलग शहरों में कई कॉलेज कोर्ट चले गए और चुनाव पर रोक लग गई। हाईकोर्ट ने सरकार से हलफनामा दायर करने को कहा पर सरकार इससे बचती रही। वजह से है कि उत्तर प्रदेश सरकार से जुड़ा कोई भी विश्वविद्यालय लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक डायरेक्ट इलेक्शन वाले मॉडल की श्रेणी में नहीं आता। इसके अलावा कई सिफारिशें ऐसी हैं जिनकी वजह से उम्रदराज और गुंडा प्रवृत्ति के लोग चुनाव लड़ ही नहीं सकेंगे। सरकार को पता है कि लिंगदोह समिति की सिफारिशों के मुताबिक होने वाले चुनाव से उसे छात्रनेताओं के विरोध का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सरकार स्टैंड लेने से आज तक बच रही है।

लिंगदोह समिति के अनुसार मॉडल

लिंगदोह समिति की सिफारिशों के अनुसार चुनाव के चार मोड्स हैं। इसमें एक डायरेक्ट इलेक्शन का मॉडल है और बाकी तीन इन डायरेक्ट इलेक्शन का मॉडल।

क्। पैरा म्.ख्.क् का एनेक्सर ब्ए का मॉडल

सिर्फ इस मॉडल में डायरेक्ट इलेक्शन का प्रावधान है। ये जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय जैसे रेजिंडेशियल और कैम्पस तक केंद्रित यूनिवर्सिटीज के लिए है। उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों पर ये मॉडल लागू नहीं होता।

ख्। पैरा म्.ख्.ख् के एनेक्सर ब् बी का मॉडल

इसमें इनडायरेक्ट इलेक्शन सिस्टम सुझाया गया है।

फ्। पैरा म्.ख्.फ् के एनेक्सर ब् सी का मॉडल

इसमें भी इनडायरेक्ट इलेक्शन की सिफारिश है।

ब्। पैरा म्.ख्.ब् के एनेसर ब् डी का मॉडल।

इसमें भी इनडायरेक्ट इलेक्शन की प्रॉसेस बताई गई है। कानपुर, आगरा, मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ जैसे विश्वविद्यालय इसी के अंतर्गत आते हैं। यहां इनडायरेक्ट इलेक्शन होना चाहिए।

लिंगदोह समिति की कुछ प्रमुख सिफारिशें

क्.इलेक्शन लड़ने वाले यूजी स्टडेंट्स की आयु क्7 से ख्ख् साल हो।

ख्.पीजी स्टूडेंट्स की एज ख्ब् से ख्भ् साल होनी चाहिए।

फ्। इलेक्शन कैम्पेन में उम्मीदवार हाथ से लिखे पर्चे से प्रचार करेंगे

ब्। होर्डिग, बैनर व पोस्टर तथा वॉल पेंटिंग से प्रचार पर पूरी तरह बैन है।

भ्। प्रत्याशी पर कोई क्रिमिनल केस न हो तथा उसके खिलाफ कभी डिसिप्लिनरी एक्शन न लिया गया हो।

म्। नॉमिनेशन से लेकर मतदान तक की प्रक्रिया क्0 दिन में सम्पन्न कराई जाए।

7.प्रत्याशियों की अटेंडेंस कॉलेज में कम से कम 7भ् प्रतिशत होनी चाहिए।

8 .प्रचार में कैंडिडेट अधिकतम भ् हजार खर्च कर सकता है।

9. सभी कॉलेजेज के प्रतिनिधि विश्वविद्यालय की कमेटी चुनेंगे जो कॉलेजेज को गाइडलाइंस भेजेगी।

क्0 .कैंडिडेट्स कैंम्पस के भीतर प्रचार के लिए आउटसाइडर्स को नहीं ला सकेंगे

क्क्। इलेक्शन के दिन खाने पीने का कोई सामान कैंडिडेट वितरित नहीं कर सकेंगे।

कोट्स

छात्रसंघ चुनाव से न सिर्फ विश्वविद्यालय में छात्रों की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। बल्कि छात्र राजनीति से रीजनीति के दिशा में एक अलग पहचान बनेगी।

राजीव ऋषि तिवारी,

स्टूडेंट लीडर, डीडीयूजीयू

छात्रसंघ की बहाली न होने के कारण आज छात्र राजनीति से वंचित हैं। इसलिए प्रदेश सरकार को छात्रसंघ बहाल करते हुए छात्र राजनीति में एक ऐतिहासिक फैसला लेना चाहिए।

श्याम सिंह,

स्टूडेंट लीडर, डीडीयूजीयू

सपा ने सरकार में आने से पहले यह वादा किया था कि हमारी सरकार आई तो छात्रसंघ चुनाव कराए जाएंगे, लेकिन सरकार अपने ही वादों से मुकर गई।

श्रीकांत मिश्रा,

निर्वतमान छात्रसंघ अध्यक्ष, डीडीयूजीयू

छात्रसंघ चुनाव लोकतंत्र की प्राथमिक पाठशाला है। विश्वविद्यालय लोकतंत्र की नर्सरी है। इसलिए छात्रसंघ चुनाव पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।

राजीव पाण्डेय,

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, डीडीयूजीयू

स्टूडेंट्स को कोट्स

छात्रसंघ चुनाव पर लगी रोक हटनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने छात्र राजनीति को खत्म कर दिया है। जबकि सपा ने छात्रसंघ चुनाव के बहाली का वादा किया था।

रागिनी, स्टूडेंट

छात्रसंघ चुनाव पर बैन छात्रों संग अन्याय है। गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव पर स्टे है। इसलिए जब तक स्टे नहीं हटेगा तो चुनाव कहां से संभव है।

शाहिल, स्टूडेंट

वर्जन

प्रदेश में मेरठ और आगरा यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ हुए हैं। लिंगदोह कमेटी के सिफारिशों के मुताबिक छात्रसंघ चुनाव जरूर होना चाहिए।

प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयू गोरखपुर