बेली हॉस्पिटल में नहीं है हड्डी के जोड़ो के ऑपरेशन की सुविधा

एसआरएन हॉस्पिटल रेफर हो रहे मरीज, प्राइवेट में होता है काफी खर्च

डेढ़ साल से खराब पड़ी है बेली हॉस्पिटल की सी आर्म मशीन

ALLAHABAD: बड़े-बड़े इलाज का दावा करने वाले सरकारी हॉस्पिटल्स की हकीकत धीरे-धीरे सामने आ रही है। गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई घटना ने सरकारी तंत्र की सच्चाई को बेपर्दा कर दिया है। हालत ये है कि सरकारी हॉस्पिटल्स में गिनती की जांच और सर्दी-जुकाम, बुखार के अलावा किसी बड़ी बीमारी में कोई उम्मीद नहीं रखी जा सकती। बेली हॉस्पिटल के आर्थोपेडिक विभाग का हाल ये है कि यहां हड्डी के जोड़ों की सीरियस सर्जरी पिछले डेढ़ साल से ठप है। इसका कारण ये है कि तीस लाख रुपए की मशीन खरीदने का फंड सरकार के पास नहीं है।

ले रहे 50 हजार से एक लाख तक

बेली हॉस्पिटल में हड्डी के जोड़ों के सीरियस ऑपरेशन पिछले डेढ़ साल से नहीं हो रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि सी आर्म मशीन नहीं होने से टफ ऑपरेशन का रिस्क नहीं ले सकते। यदि कोई गड़बड़ी हुई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में मरीजों से ऑपरेशन के लिए पचास हजार से एक लाख रुपए तक लिए जा रहे हैं।

डेढ़ साल में नहीं मिले तीस लाख

इस असुविधा का जिम्मेदार कौन है? यह तय करना मुश्किल है, लेकिन हकीकत ये है कि परेशान मरीज हो रहे हैं। डेढ़ साल पहले सी आर्म मशीन खराब हुई थी तब से अब तक दर्जनों लेटर सरकार को भेजे जा चुके हैं। इस मशीन का दाम तीस लाख रुपए है और इससे कही ज्यादा फंड सरकार अब तक दूसरी चीजों के लिए बेली हॉस्पिटल को दे चुकी है, लेकिन सी आर्म के लिए कुछ नहीं किया गया।

कमीशन वाली फाइलें होती हैं पास

स्वास्थ्य विभाग के ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी उन्हीं फाइलों को हरी झंडी देते हैं जिनमें ऊंचे कमीशन की गुंजाइश होती है। उन्हें मरीजों की जान या इलाज से कोई लेना देना नहीं होता। इसी हॉस्पिटल में करोड़ों रुपए की एमआरआई और सीटी स्कैन लग गई, लेकिन महज तीस लाख की मशीन नहीं लगवाई जा सकी। सच तो ये है कि इस मशीन के बिना कोई हड्डी का ऑपरेशन होना मुश्किल है। यह तब है जब बेली हास्पिटल में एक नहीं बल्कि मरीजों की भीड़ को देखते दो मशीनों की जरूरत है।

नोट: (स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर सी आर्म की खरीद में लेटलतीफी पर दी अपनी राय)

फैक्ट फाइल

110 से 120 ऑपरेशन होते थे बेली हॉस्पिटल में डेढ़ साल पहले तक

80 से 85 ऑपरेशन ही हो पा रहे हैं वर्तमान में वे भी माइनर

50 हजार से एक लाख रुपये लिए जाते हैं सी आर्म मशीन से होने वाले ऑपरेशन के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल्स में

घुटने का आपरेशन होना है। एक लाख रुपए फीस लग रही है। यहां डॉक्टर साहब को दिखाने आए हैं। अगर आपरेशन कर दें तो मुझ गरीब मरीज का भला हो जाएगा।

अब्दुल खालिद, राजापुर

डॉक्टर साहब कूल्हे के आपरेशन को मना कर देते हैं। मरीजों को इसके लिए एसआरएन या प्राइवेट हॉस्पिटल जाना पड़ता है। यह सुविधा मिलनी चाहिए।

एहतेशाम, बेली कालोनी

प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज काफी महंगा है। सरकारी हॉस्पिटल में गरीब लोगों की सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में मरीज कहां जाएगा।

इरफान, कटरा

डेढ़ साल से सी आर्म मशीन खराब पड़ी है। जोड़ों के आपरेशन के लिए यह मशीन बेहद जरूरी है। बावजूद इसके मरीजों को निराश नहीं किया जा रहा है। कठिन सर्जरी को रेफर कर दिया जाता है।

डॉ। एपी सिंह, हड्डी रोग विशेषज्ञ, बेली हॉस्पिटल

उम्मीद है कि जल्द ही बेली हॉस्पिटल को सी आर्म मशीन शासन की ओर से उपलब्ध करा दी जाएगी। हमने मशीन खराब होने की सूचना शुरुआत में ही शासन को भेज दी थी।

डॉ। आरएस ठाकुर, प्रभारी सीएमएस, बेली हॉस्पिटल