- 100 अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं मेरठ में

- 2 सेंटर्स पर हरियाणा की टीम ने बीते दो महीने में कार्रवाई की

- 7 जगह छापेमारी की जा चुकी है 2017 में

- 5 सदस्य हैं स्वास्थ्य विभाग की टीम में

- 17 सेंटर्स पर हरियाणा की टीम ने 2016 में की थी छापेमारी

- 60 हजार रूपये सेंटर ढूंढने वाले व्यक्ति को दिए जाते हैं।

- 1 लाख रूपये बोगस ग्राहक बनकर जाने वाली महिला को दिया जाता है।

- 40 हजार रूपये दिए जाते हैं महिला के सहयोगी को

- प्रचार-प्रसार का नहीं हैं बजट, आम लोगों में नहीं योजना के प्रति रूचि

Meerut । कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार सख्त है। इसको लेकर प्रशासन ने कई बैठकें की। हर बार स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में तेजी से काम करने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं। लेकिन नतीजा सिफर रहा। हरियाणा की टीमें ही यहां जांच के मामले सख्त कार्रवाई करती आ रही है। आलम यह है कि मेरठ की टीम को यहां मुखबिर तक नहीं मिल पा रहे हैं।

नहीं हैं रूझान

मुखबिर योजना के लिए जनपद में प्रचार -प्रचार ही नहीं किया गया है। ऐसे में आम लोगों को न तो योजना के बारे में जानकारी है न ही बढ़ी हुई इनाम राशि के बारे में। स्वास्थ्य विभाग की हीलाहवाली के चलते मुखबिर इसमें रुचि नहीं ले रहे। वहीं इनाम राशि मिलने की प्रक्रिया जटिल होने के चलते भी मुखबिर बच रहे हैं।

यह है योजना

पीसीपीएनडीटी एक्ट की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी। इसके तहत चिकित्सालयों व सोनोग्राफी सेंटरों पर डिक्वाय ऑपरेशन चलाने है। इसके तहत विभाग मुखबिर के जरिए बोगस ग्राहक बनाकर सेंटर पर छापेमारी करेगा । इसमें लोगों का रुझान न होने से बाद में 2015 में इनाम की राशि बढ़ाकर दो लाख कर दी गई है।

तीन किस्तों में भुगतान

योजना के तहत पहले मुखबिर की सूचना पर बोगस ग्राहक बनकर लिंग परीक्षण को सत्यापित किया जाता है। सूचना में परीक्षण करने वाले चिकित्सक व महिला का नाम सही पाए जाने पर पहली किस्त के रूप में प्रोत्साहन राशि में से 50 प्रतिशत का तुरंत भुगतान होगा। चिकित्सक के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज होने पर बाकी की राशि दो किस्तों में दी जाती है।

यह है कार्रवाई

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत ¨लग परीक्षण करवाने एवं जांच करने वाले दोनों के खिलाफ ही सख्त सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना एवं पांच साल तक की सजा हो सकती है। वहीं सेंटर का लाइसेंस भी जब्त हो सकता है।

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वर्जन

हमारे यहां प्रचार-प्रसार के लिए बजट नहीं हैं। इनाम राशि तुरंत न मिलने की वजह से भी लोगों का रूझान मुखबिर बनने में नहीं होता है।

डॉ। देवी दास, नोडल अधिकारी, पीसीपीएनडीटी एक्ट, मेरठ।