अफवाह है या सच्चाई
अब इस बारे में कहना कठिन है कुछ लोगों को लगता है कि ये बात किसी अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं है, जबकि कुछ लोग इसे वाकई इसे एक कारगर इलाज मानते हैं। यूं तो कुछ वैज्ञानिक दस्तावेज़ों में ये दावा किया गया है कि पपीते के पत्तों का जूस शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के रिसर्च सेंटर में एक रिसर्च ने पपीते के पत्तों के जूस के फायदों के बारे में बताया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि पपीते के पत्तों का जूस कैंसर से लड़ने में प्रभावी हो सकता है और इससे इम्यूनिटी बढ़ती है जो वाकई में डेंगू के केसेज में महत्वपूर्ण है।  

वहीं सर गंगाराम हॉस्पिटल के आयुर्वेद विभाग की वरिष्ठ परामर्शदाता डाक्टर प्रीति छाबरा का कहना है कि हालाकि पपीते के पत्ते का जूस से डेंगू का इलाज ने का एक ट्रेंड जैसा चल रहा है पर आयुर्वेदिक इलाज की किसी पुस्तक में इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। अब ऐसे में इस बात को पूरी तरह नातो प्रमाणिक कहा जा सकता है ना ही ये अफवाह भर है।  

कैसे करता है काम
दरसल पपीते के पत्तियों में कायमोपापिन और पापेन  जैसे एंजाइम पाए जाने की जानकारी मिली है और कुछ लोगों का कहना है कि ये तत्व प्लेटलेट काउंट सामान्य करते हैं, ब्लड क्लॉट को बेहतर बनाते हैं, लिवर को ठीक से काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, इस तरह से डेंगू के मरीज़ को रिकवर होने में मदद मिलती है। इस बारे में सर गंगाराम हॉस्पिटल के ही डाक्टर एसपी ब्योतरा का कहना है कि डेंगू एक स्वाभाविक रूप से ठीक होने वाली बीमारी है जिसके चलते ज्यादातर मरीज अपने आप ही सही खानपान और आराम के बात ठीक हो जाते हैं। जाहिर इस दौरान ये घरेलू नुस्खे उनको कुछ ना कुछ फायदे तो देते ही हैं। केवल कुछ मामलों में ही प्लेटलेट काउंट इतना ज्यादा गिरता है कि उन्हें गंभीर और लंबे इलाज की जरूरत पड़ती है। अब ऐसे में ये मान लेना स्वाभाविक है कि इन चीजों से इलाज हुआ है। वहीं कैंसर के मामलों में ऐसे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

कुछ और अध्ययन में भी है इस जूस का जिक्र
2010 में अमेरिकी और जापान के जनरल ऑफ इथनोफार्मोकॉलिजी के अनुसार ये माना गया है कि पपीते की पत्तियों में ऐसे एंजाइम मौजूद हैं जो कैंसर और ट्यूमर के कुछ प्रकारों से लड़ने की क्षमता रखते हैं जैसे ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, लीवर कैंसर, लंग कैंसर और पैंक्रियेटिक कैंसर आदि। बहरहाल हो सकता है कि पपीते का जूस कुछ हद तक कैंसर और डेंगू जैसे मामलों में लड़ने मदद करता हो पर ये सारी बाते कुछ अध्ययनों में कही गयी हैं जो अंतिम प्रमाण नहीं है और बेहतर होगा कि घ्रेलू उपायों के साथ विशेषज्ञ डाक्टरों से ट्रीटमेंट लिया जाए।

News courtesy zeenews.india.com

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