कैंट बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय

कैंट बोर्ड के सीईओ डीएन यादव ने कहा कि कैंट बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय है, जिसके ऊपर सिर्फ केंद्र सरकार है। किसी राज्य के लोकल निकाय का कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाता है। यहां संसद की तरह काम किया जाता है। पूरा बोर्ड ही किसी मुद्दे पर फैसला लेता है। बोर्ड के ऊपर एक लाख लोगों की जिम्मेदारी है, जिन्हें सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कैंट बोर्ड अपने काम कर रहा है।

बोर्ड की है माल रोड

कैंट बोर्ड के सीईओ ने साफ कहा कि माल रोड कैंट बोर्ड की सी क्लास रोड है। न तो उस रोड पर आर्मी का कोई दखल है न ही एडमिनिस्ट्रेशन का कोई इंटरफेयर बर्दाश्त किया जाएगा। माल रोड पर बोर्ड ही फैसला लेगा कि उसका क्या करना है?

माल रोड पर वॉकिंग प्लाजा कब और क्यों?

माल रोड पर वॉकिंग प्लाजा 2002 पर शुरू हुआ। ये इसलिए शुरू हुआ था कि सुबह और शाम माल रोड स्थित गांधी बाग में लोग घूमने आते थे। इससे रोड साइड में काफी भीड़ हो जाती थी। बोर्ड में फैसला लिया गया था कि सुबह और शाम एक-एक घंटे के लिए रोड को बंद कर रूट को डायवर्ट कर दिया जाएगा। उस वक्त तत्कालिक डीएम की ओर से भी किसी ने कोई आपत्ति नहीं उठाई थी।

एक साल पहले भी

माल रोड के वॉकिंग प्लाजा को लेकर भी एक साल पहले भी बोर्ड मुद्दा आया था। 25 फरवरी 2013 की बोर्ड मीटिंग में वॉकिंग प्लाजा के समर्थन में सभी ने सर्वसम्मति से अपना समर्थन किया था। साथ ही वेस्टर्न कमांड की ओर से लेटर भी आया था कि हर कैंट की तरह मेरठ  कैंट में भी माल रोड को कुछ घंटों के वॉकिंग के लिए ट्रैफिक फ्री रखा जाए।

तब कहां थे डीएम?

25 फरवरी 2013 की बोर्ड मीटिंग में न तो डीएम मौजूद थे और न ही उनका कोई प्रतिनिधि मौजूद था। इस रेज्यूलेशन की कॉपी डीएम को भेजी गई थी। उस वक्त अगर डीएम अपनी आपत्ति दर्ज कराते तो कुछ हो सकता था। अब कोई प्रस्ताव पास होने और लागू होने के एक साल अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे तो उसकी कोई वैल्यू नहीं है।

है गैर जिम्मेदाराना हरकत

सीईओ ने माल रोड पर हुई हरकत को काफी गैर जिम्मेदाराना बताया है। साथ ही उन्होंने माल रोड पर वाकिंग प्लाजा के विरोध को प्रायोजित करार दिया। उन्होंने साफ कहा कि पिछले 12 वर्षों से बिना किसी रोक-टोक और आपत्ति के वाकिंग प्लाजा चालू है। रूट डायवर्ट के लिए कैंट बोर्ड ने आसपास 100 मीटर की रेंज में रोड का जाल फैलाया हुआ है। अब तक पब्लिक आसानी से आ जा रही थी अब क्यों ऐसे विरोध के सुर उभर रहे हैं। इस सिर्फ प्रायोजित ही किया जा रहा है।