- सहजनवां पुलिस थाने में बैठे-बैठे मामले को बता देती है झूठा

- पीडि़त पुलिस कप्तान के पास पहुंचते हैं तब दर्ज होता है केस

- कोर्ट से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों का आदेश सहजनवां पुलिस के ठेंगे पर

केस 1 :

18 मार्च को क्षेत्र में हाईस्कूल की एक छात्रा का अपहरण हुआ। दो दिनों तक उसके साथ गैंग रेप हुआ। उसके बाद आरोपियों ने छात्रा को उसके घर के पास छोड़ दिया। पीडि़ता ने तहरीर दी तो पुलिस ने थाने में ही तय कर दिया कि मामला फर्जी है। थाने का चक्कर लगाने के बाद पीडि़ता पुलिस कप्तान के पास पहुंची। कप्तान के आदेश पर 24 मार्च को सहजनवां पुलिस ने केस दर्ज किया।

केस 2 :

27 अप्रैल को एक युवक ने क्षेत्र की महिला के घर में घुसकर दुष्कर्म का प्रयास किया। पीडि़ता थाने पहुंची तो पुलिस ने उसे भी झूठा बता दिया। चार दिन तक पीडि़ता व परिवारीजन थाने का चक्कर लगाते रहे। थक-हारकर पुलिस कप्तान के पास पहुंचे। कप्तान के आदेश पर सहजनवां पुलिस ने 8 मई को केस दर्ज किया।

SAHJANWA: यह दो केस ही बताने के लिए काफी हैं कि सहजनवां पुलिस किस तरह काम कर रही है। यहां थानेदार थाने में बैठे-बैठे यह फैसला दे देते हैं कि कोई रेप झूठा है या सच्चा। पुलिस, पुलिस की भूमिका में कम, जज की भूमिका में ज्यादा नजर आती है। आमतौर पर सहजनवां पुलिस की नजर में रेप, रेप का प्रयास, छेड़खानी के मामले झूठे ही होते हैं। लिहाजा, वे थाने से ही पीडि़तों को भगा देते हैं। कई बार थाने का चक्कर काटने के बाद पीडि़ता जब पुलिस कप्तान के वहां पहुंचती है तो थाने में केस दर्ज होता है। हालत यह है कि पुलिस कप्तान जिले में बैठकर सहजनवां थाना चला रहे हैं और थानेदार थाने में बैठकर 'फैसला' सुना रहे हैं।

कोर्ट का आदेश बना मजाक

कोर्ट का आदेश है कि रेप पीडि़ता के मामले में पहले केस दर्ज किया जाए और उसके बाद उसकी जांच की जाए। इस संबंध में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी कई बार निर्देश जारी कर चुके हैं लेकिन यह सहजनवां पुलिस पर लागू नहीं होता। ज्यादातर मामलों में पुलिस आरोपियों के साथ खड़ी नजर आती है और पीडि़ता को झूठा बताकर थाने से भगा देती है।

थाना दिवस पर नहीं पहुंचते फरियादी

सभी थानों पर सप्ताह में एक दिन थाना दिवस का आयोजन होता है। आमतौर पर इस दिन थानेदार बैठते हैं और पीडि़तों की समस्याओं का मौके पर निष्पादन करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, सप्ताह में 6 दिन थाने से भगा देने वाली पुलिस सातवें दिन थाना दिवस के दिन पीडि़तों की भला क्यों सुनेगी? यही कारण है कि थाना दिवस से क्षेत्र के लोगों का मोह भंग हो गया है। कभी दो तो कभी तीन ही फरियादी दिनभर में पहुंचते हैं। उनमें भी कभी एक तो कभी एक भी मामले का निष्पादन नहीं हो पाता। वरिष्ठ अधिकारियों की लाख कोशिशों के बाद भी सहजनवां पुलिस पब्लिक का मित्र नहीं बन पा रही।

मुकदमा नहीं लिखे जाने के सम्बन्ध में जांच चल रही है। दोष सिद्ध होने पर कार्रवाई की जाएगी।

- अनंतदेव, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक