अमरीकी ऊर्जा विभाग की प्रयोगशाला ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी ने 3डी प्रिंटर पर न केवल स्पोर्ट्स कार बनाई बल्कि 2015 के डेट्रॉयट ऑटो शो में इसे प्रदर्शित भी किया।
पहली नज़र में तैयार की गई शेलबी कोबरा कार आम स्पोर्ट्स कार जैसी ही लगती है, चाहे ये प्लास्टिक से बनी है। हालांकि ये स्टील से भी बनाई जा सकती है।
इसमें कहीं भी स्टील के पैनल का इस्तेमाल नहीं हुआ है। ये कार 85 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चलाई जा सकती है।
थ्री डायमेंशनल प्रिटिंग वो नई तकनीक है जिसके इस्तेमाल में पहले कंप्यूटर में डिज़ाइन बनाया जाता है।
फिर उस कमांड के ज़रिए 3डी प्रिंटर, या ये कहें कि इंडस्ट्रियल रोबोट उस डिज़ाइन को, सही पदार्थ (मेटीरियल) का इस्तेमाल करते हुए परत दर परत प्रिंट करता है या बनाता है।
इस प्रयोग में पिघले हुए प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हुए उसे मनचाहा आकार दिया जाता है। ऐसा मेटल से भी किया जा सकता है।
इस तकनीक को अंजाम देने वाले उपकरण को थ्री-डी प्रिंटर या फिर इंडस्ट्रियल रोबोट कहा जाता है।
इस लैब के डॉक्टर चैड ड्यूटी ने बीबीसी फ़्यूचर को बताया, "हमने इसे प्लास्टिक की परतों से बनाया है। 24 घंटे में प्लास्टिक से बॉडी को प्रिंट किया (बनाया) जा सकता है।"
वह बताते हैं, "बाद में इसमें इंजन और उपरी बाडी, लाइट, ब्रेक, गियर, और अन्य चीजों को असेंबल किया जाता है। कुल 6 सप्ताह में 6 लोग ऐसी कार तैयार कर लेते हैं। ख़ास बात यह है कि इसको बाद में डि-असेंबल कर पूरी तरह से अलग किया जा सकता है।"
दरअसल प्लास्टिक की परत दर परत प्रिंट करके कार तैयार करने का मतलब केवल ढांचा तैयार करना नहीं, बल्कि कार के अलग अलग हिस्सों को थ्री-डायमेंशनल प्रिटिंग के ज़रिए पहले प्रिंट करना और फिर उन्हें असेंबल करना है।
ज़ाहिर है ये कार फ़िलहाल बिक्री के लिए नहीं बनी है। इसे प्रयोग के दौरान तैयार किया गया है। लेकिन इसने दूसरे कार निर्माताओं को ऐसी कार तैयार करने का विकल्प तो दे ही दिया है।
अमरीकी कार निर्माता लोकल मोटर ने प्रिंट करके स्ट्रेटी कार को तैयार किया है जिसे डेट्रॉयट ऑटो शो में प्रदर्शित किया गया।
लोकल मोटर्स के जे रोजर्स कहते हैं, "इस कार को बनाना आसान है और ये काफ़ी कम खर्चे में बनाई जा सकती है। इसके रखरखाव का खर्च भी बेहद कम हो जाता है। मेरे ख्याल से यही भविष्य की कार होगी।"
ऐसे में ज़ाहिर है कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री एक नए युग के लिए तैयारी करती दिख रही है।