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KANPUR : अगर आप डेबिट या क्रेडिट कार्ड यूजर हैं तो कार्ड का यूज करते समय बहुत सतर्क रहने की जरूरत है. वरना आप भी नयागंज निवासी जितेंद्र गुप्ता की तरह ठगी का शिकार हो सकते हैं. क्योंकि आपको बता दें कि इन दिनों शहर में कई हैकर ग्रुप एक्टिव हैं जो कार्डिग टेक्निक के जरिए कार्ड यूजर की जानकारी जुटाकर उसके अकाउंट से पैसा पार कर रहे हैं. एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि इस तरह के फ्रॉड से सिर्फ सतर्क रहकर ही बचा जा सकता है. इसके लिए आपका जानना जरूरी है कि आखिर क्या है कार्डिग..

कार्ड यूजर की इंफामेर्शन जुटाना
यूपी पुलिस के पूर्व साइबर एक्सपर्ट वीके जैन के मुताबिक डेबिट, क्रेडिट या अन्य तरह के कार्ड की जानकारी जुटाकर पैसा पार करने की प्रक्रिया को कार्डिग कहते हैं. हैकर इसके लिए होटल, रेस्टोरेंट या किसी संस्थान में काम करने वाले इम्पलाइज को कमीशन का लालच देते हैं. हैकर्स ने कार्डिग के लिए वाट्सएप, मैसेंजर और अन्य सोशल मीडिया पर ग्रुप बना दिए हैं. जिसमें कमीशन के लालच में लोग दूसरे के कार्ड की डिटेल देते हैं. सोर्सेज के मुताबिक हैकर्स 5 से 10 परसेंट कमीशन देते हैं, लेकिन अगर खाते में ज्यादा पैसा होता है तो हैकर मुंह मांगा कमीशन देते हैं.

 

ये लोग कमीशन के लालच में जुड़ते हैं

 

- पेट्रोल पंप कर्मी, रेस्टोरेंट कर्मी, मॉल कर्मी, ज्वैलरी शॉप, लुटेरे, बैंक कर्मी, कुछ बिगड़ैल स्टूडेंट आदि

ऐसे हासिल करते हैं डिटेल
हैकर के लिए कमीशन पर काम करने वाले शातिर कुछ सेकेंड में कार्ड की डिटेल हासिल कर लेते हैं. दरअसल, ये लोग किसी न किसी शॉप, मॉल या संस्थान में काम करते हैं. ये आपका कार्ड स्वाइप करने के लिए लेते हैं और उसे संस्थान में लगे सीसीटीवी कैमरे की ओर दिखाकर फुटेज सेव लेते हैं. इस तरह कुछ ही सेकेंड में उनके पास आपके कार्ड की डिटेल आ जाती है. इसके अलावा फोटो क्लिक करके भी कार्ड की डिटेल हासिल करते हैं.

 

ओटीपी की भी जरूरत नहीं पड़ती
साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक कार्डिग से ठगी बहुत तेजी से बढ़ रही है. देश में जब ओटीपी प्रक्रिया शुरू हुई थी तो कार्डिग पर रोक लग गई थी, लेकिन अब हैकर्स ने ओटीपी की भी काट ढूंढ ली है. हैकर कार्ड की डिटेल लेने के बाद विदेशी हैकर कॉन्टेक्ट कर उसको डिटेल दे देते हैं और उससे अपना कमीशन ले लेते हैं. विदेश में कार्ड को स्वाइप करने में ओटीपी की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे विदेशी हैकर आसानी से डिटेल की मदद से अकाउंट से पैसा पार कर देता है.

इस वजह से पकड़ में नहीं आते हैं
हैकर खुद पुलिस से बचने के लिए कार्डिग से ठगी करते हैं. कार्डिग होने से अब हैकर को खुद कार्ड की जानकारी नहीं जुटानी पड़ती है. अब वे कमीशन देकर सोशल मीडिया के जरिए जानकारी जुटाते हैं. हैकर फर्जी नंबर या इंटरनेट नंबर से सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाते हैं. इसी वजह से वे पुलिस के हत्थे नहीं लगते हैं.

लुधियाना और उत्तराखंड में पकड़े जा चुके हैं
कुछ समय पहले लुधियाना और उत्तराखंड पुलिस कार्डिग के जरिए ठगी करने वाले गैंग को पकड़ चुकी है. इन शातिरों ने पुलिस पूछताछ में तीन सौ से ज्यादा कार्ड यूजर से ठगी करने का जुर्म कबूला था. तभी पुलिस को कार्डिग के जरिए ठगी का पता चला था.

इस तरह से बच सकते हैं
-अपने कार्ड को किसी दूसरे व्यक्ति को न दें. कार्ड का पिन और सीवीवी नंबर कभी न बताएं.

-कार्ड से संबंधित जानकारी मैसेज से न दें. अगर आपको जानकारी देनी है तो फोन पर ही दें

-अगर आप ऑनलाइन साइट पर कार्ड से भुगतान कर रहे हैं तो पहले साइट का यूआरएल जरूर देख लें. अगर यूआरएल हरे रंग में सिक्योर एचटीपीएस लिखकर न आए तो कार्ड की जानकारी न दें.

-अगर आप किसी मॉल या शॉप में कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो पहले देख लें कि कोई आपके कार्ड का नंबर तो नहीं देख रहा

-कार्ड के पीछे लिखे सीवीवी नंबर को याद करके उसे स्क्रेच कर दें. दरअसल, इस नंबर की मदद से ही सबसे ज्यादा ठगी होती है.

साइबर ठगी से बचने के लिए जरूरी है लोग खुद अवेयर रहें. किसी को कार्ड का नंबर, पिन नंबर आदि न बताएं.
- अनंत देव, एसएसपी, कानपुर नगर