गुवाहाटी हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि जिन पैसेंजर कारों को अंतर राष्ट्रीय स्तर पर र्निधरित सुरक्षा मापदंडों पर खरा नहीं पाया जाएगा राज्य में उनकी बिक्री प्रतिबंधित कर दी जाए। इस नियम के तहत करीब छोटी कारों के लगभग 140 माडल्स पर राज्य में बैन लगा दिया गया।

कोर्ट का कहना है कि राज्य में पहाड़ी रास्तों की भरमार है ऐसे में चालक और कार में सवार लोगों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए जो कारें Global New Car Assessment Programme की शर्तों को पूरा नहीं करतीं उन्हें आसाम में चलाने की इजाजत नहीं दी जा सकती इसलिए उनकी बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए। इसके बाद कार डीलर्स ने देश भर में उपलब्घ छोटी कारों के कुछ माडल्स की बिक्री राज्य में तत्काल बंद कर दी।

क्योंकि असम के बारे में कहा जाता है कि वो भारत का सबसे बड़ा कार उपभोक्ता राज्य है इसलिए कई कार बनाने वाली कंपनियां इस आदेश से खुश नहीं हैं और आने वाली 27 अगस्त को इस मामले में डाली गयी पीआईएल से अपने हित में फैसला आने की उम्मीद लगा कर इंतजार कर रही हैं। कार कंपनिया इस बात से भी हैरान है कि भारत में क्रैश टेस्ट के मानक काफी कन्फ्यूजन पैदा करने वाले हैं यहां तक कि कुछ नए नियम तो 2017 में लागू होंगे पर उनके आधार पर जांच की जा रही है।

बावजूद इसके कि आटो कंपनीज ने कुछ वैलिड मुद्दे उठायें हैं ज्यादातर लोग आसाम में आए इस आदेश के सर्मथन में हैं। लोगों का कहना है कि देश भ्ज्ञर में सड़क हादसों में बढ़ती मृत्यु दर को देखते हुए पूरे देश में इन नियमों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। क्योंकि सुरक्षा कार कंपनियों के बिक्री के कंसर्न ज्यादा महत्वपूर्ण है।

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