PRAYAGRAJ: -केंद्रीय कारागार नैनी स्थित स्पेशल कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान दुबारा कई गवाहों को तलब किया गया. माल मुकदमाती मंगाया गया. फैसले की डेट्स भी डिक्लेयर हुई, लेकिन हर बार कोई न कोई अड़चन आ जाती और फैसला रुक जाता था.

-आठ दिसम्बर 2006 को मामले की सुनवाई इलाहाबाद में किए जाने का आदेश दिया गया.

-केस ट्रांसफर का आदेश होने पर पत्रावली फैजाबाद कोर्ट से इलाहाबाद आ गई.

-शुरुआत में केस की सुनवाई जिला न्यायालय में ही की जा रही थी.

-बाद में 30 नवंबर 2006 को जिला मजिस्ट्रेट इलाहाबाद के आदेश पर सुरक्षा के मद्देनजर मामले की सुनवाई केंद्रीय कारागार नैनी में गठित स्पेशल कोर्ट में की जाने लगी.

-जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि वर्तमान में इस मामले में सरकार का पक्ष रखते रहे.

आंकड़ों में मुकदमा

400 तारीखें लगीं मुकदमे की सुनवाई में लगभग

19 अक्टूबर 06 को फैजाबाद सेशन जज ने आरोप तय किया.

08 दिसंबर 06 को मुकदमा इलाहाबाद ट्रांसफर होकर आया.

05 आतंकवादियों की मौत हो गई थी हमले के दौरान.

157/05 अपराध संख्या का ट्रायल किया गया मुकदमे के दौरान.

57 गवाहों की पेशी अभियोजन पक्ष से हुई पूर्व में मात्र. कोर्ट के आदेश पर छह गवाह फिर से पेश हुए.

14 गवाह इनमें पुलिस निरीक्षक, उच्चाधिकारी, पीएसी के अधिकारी हैं.

259 सवाल तय किए सुनवाई कोर्ट ने सफाई साक्ष्य में अभियुक्तों को जवाब पेश करने के लिए.

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ऐसे चली कोर्ट की कार्रवाई

-2.30 बजे नैनी सेंट्रल जेल स्थित स्पेशल कोर्ट में पहुंचे विशेष न्यायाधीश दिनेश चंद्र.

-कोर्ट पहुंचने के पहले आरोपित मो. अजीज, नसीम, मो. शकील, आशिफ इकबाल उर्फ फारुक, डॉ. इरफान की तलाशी ली गई. जूते तक उतरवा दिए गए.

-इस बीच उनके अधिवक्ता आसिफ अली व शमसुल हसन तथा सरकारी अधिवक्ता गुलाबचंद्र अग्रहरि भी मौजूद रहे.

-कोर्ट ने पांचों आतंकवादियों का नाम पूछने के बाद कहा, मो. अजीज के विरुद्ध आरोप सिद्ध नहीं हुआ. इसे दोषमुक्त किया जाता है. अन्य चारों के खिलाफ आरोप साबित हुआ है.

-कोर्ट ने सजा के बिन्दु पर चारों आतंकियों के वकील को दलील पेश करने का मौका दिया.

-वकीलों ने दलील में कहा, मुकदमा 14 साल से चल रहा है. अभियुक्त बराबर जेल में हैं, लिहाजा जेल में बिताई गई अवधि से ही सजा दी जाए.

-जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने दलील में कहा कि प्रकरण अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. अभियुक्तों का अपराध गंभीर है. इन्हें फांसी की सजा दी जाय तथा घटना में जनता के जो लोग माए गए हैं या चोटिल हुए उन्हें क्षतिपूर्ति दी जाय.

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आंखों से छलके पछतावे के आंसू

मंगलवार की दोपहर जब कोर्ट ने चार आरोपियों को दोष सिद्ध किया तो आरोपितों की आंखों से पछतावे के आंसू छलक पड़े. वहीं दोषमुक्त होने का आदेश सुनते ही मो. अजीज अल्लाह का शुक्रिया करते हुए आसमान देखने लगा. दोनों हथेलियों को चूमते हुए वह आंख बंद कर घुटने के बल जमीन पर बैठ गया. सूत्रों के मुताबिक मो. अजीज की आंखें कमजोर हो चुकी हैं. उसे कम दिखाई देता है. वह इस समय करीब 70 वर्ष का हो चुका है. वृद्ध होने की वजह से उसके पैरों में भी दिक्कत है. कई बार वह इलाज के लिए कोर्ट में अर्जी भी दे चुका था.