बीस जून तक बैंकों में आना था पैसा

पर आरबीआई ने नहीं भेजा कैश

बैंकों की तिजोरी खाली, मार्केट में डंप हो गई है दो हजार की नोट

शहर ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी काफी बदतर हैं हालात

ALLAHABAD: तारीखें चेंज हो रही हैं, लेकिन राहत नही मिल रही। लोग बैंकों और एटीएम में लाइन लगाकर खड़े हैं। बैंक अधिकारी पैसे की जगह केवल आश्वासन देकर काम चला रहे हैं। माहौल अघोषित नोटबंदी जैसा हो गया है। उधर, माहौल को देखते हुए पब्लिक ने बड़े नोटों की डंपिंग शुरू कर दी है। जिससे स्थिति पहले से अधिक गंभीर होती जा रही है। आरबीआई की बेरुखी और पब्लिक की इस आदत को देखते हुए बैंकों ने पब्लिक से पैसा बैंक में जमा कराने की अपील शुरू कर दी है।

फिर खाली रह गई झोली

शहर में कैश की किल्लत पिछले दो माह से अधिक के समय से बनी हुई है। बैंकों को आरबीआई से पर्याप्त कैश नही मिल पा रहा है। बताया जा रहा था कि बीस जून तक कैश मिल जाएगा लेकिन एक बार फिर बैंकों की झोली खाली रह गई। हालात जस के तस बने हुए हैं। शहर के 70 फीसदी एटीएम खाली पड़े हैं। इनमें से अधिकतर एटीएम एसबीआई, पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक, आईसीआईसीआई आदि बैंकों के हैं। शहर के पॉश इलाकों सिविल लाइंस, अशोक नगर, ममफोर्डगंज आदि को छोड़ दें तो बाकी जगह एटीएम में कई सप्ताह से कैश नही डाला गया है।

बैंक ने फिर दिया दिलासा

एक बार फिर बैंकों ने पब्लिक के जले पर मरहम लगाते हुए जून के अंतिम सप्ताह में आरबीआई द्वारा कैश उपलब्ध कराए जाने का दिलासा दिया है। उनका कहना है कि इसके बाद पैसे की क्राइसिस खत्म हो जाएगी। लेकिन, सोर्सेज कुछ और कहते हैं। उनका कहना है कि फिलहाल आरबीआई कैश देने के मूड में नहीं है। इसके दो रीजन हैं। पहला यह कि मार्केट से पैसा वापस बैंक नहीं पहुंच रहा है और दूसरा कि केंद्र सरकार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रही है। इससे आरबीआई दो कदम पीछे चला गया है।

500 जेब में, 2000 की नोट गायब

कैश को डंप करने का ट्रेंड मार्केट में ऐसा चला है कि लोगों की पाकेट से दो हजार के नोट गायब हो गए हैं। अब केवल पांच सौ, सौ, पचास, बीस और दस की नोट ही दिख रही है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि भारी मात्रा में कैश डंप हो जाने से बैंक को वापस पैसे नही मिल पा रहे हैं। आरबीआई भी इस बात को भाप गया है इसलिए कैश की कमी बनी हुई है।

बॉक्स

कैसे हो खरीदारी

केंद्र सरकार का कहना है कि लोगों को डिजिटल मार्केटिंग के मोटीवेट किया जाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। जनवरी से चालू हुई स्वैपिंग मशीन की किल्लत अभी तक साल्व नहीं हो पाई है। कई दुकानों पर यह मशीनें नहीं होने से भुगतान में दिक्कतें आ रहीं हैं। दुकानदारों का कहना है कि बैंक में अप्लाई किए लंबा समय हो गया लेकिन अभी तक स्वैपिंग मशीन उपलब्ध नही कराई गई है।

वर्जन

पीएनबी को थोड़ा कैश मिला है, बाकी बैंकों में दिक्कत बनी हुई है। बीस जून तक पैसा दिए जाने की बात आरबीआई ने कही थी, लेकिन वह पूरी नहीं हुई। क्राइसिस लगातार बनी हुई है। जून के अंतिम सप्ताह तक पैसा मिलने की उम्मीद है।

अश्वनी तिवारी, अध्यक्ष, पीएनबी आफिसर्स एसोसिएशन

मेरी लोगों से अपील है कि वह बैंकों में पैसा जमा कराएं। कैश डंप होने से मार्केट में दिक्कत उत्पन्न हो रही है। बैंक के पास पैसा नहीं आने से ग्राहकों को भरपूर कैश नहीं मिल पा रहा है। दो हजार रुपए की नोट की कमी बनी हुई है।

लीड बैंक मैनेजर, बैंक ऑफ बड़ौदा

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मोदी सरकार जिम्मेदार है। नोटबंदी की अपनी नाकामी छिपाने और डिजिटल इंडिया का ढोल पीटने के बाद अपनी इस असफलता को स्वीकार करने से कतरा रही है।

एसके मिश्रा

- इसकी जिम्मेदार मोदी सरकार की अनियोजित नोटबंदी के साथ एसबीआई का चार ट्रांजेक्शन के बाद चार्ज लगाने का फरमान भी है। जिसके बाद व्यापारियों ने पैसे को जमा कराने के बजाय इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। क्योंकि, पैसा निकालने में उन्हें चार्ज कट जाने का डर सता रहा है।

विपिन कुमार यादव

- इस समस्या की जड़ नोटबंदी है। जो आम जनता को झेलनी पड़ रही है। सहकारी बैंकों के पास भारी मात्रा में 500 और 1000 के नोट छह माह से पड़े हुए हैं। जिसमें अभी तक एक्सचेंज नही करवाया जा सका है। इससे बैंक व एटीएम में कैश की दिक्कत बनी है।

रिपु सूदन