1997 में भेजा गया था धरती से
15 अक्टूबर 1997 को फ्लोरिडा के केप केनवरेल एयरफोर्स स्टेशन से 'कैसिनी' अंतरिक्षयान को लॉन्च किया गया था। इस स्पेसक्रॉफ्ट को सौरमंडल में भेजने का सिर्फ एक मकसद था कि वह अबूझ पहेली बने शनि ग्रह के बारे में नई-पई जानकारियां जुटा सके। कैसिनी ने इस काम को बखूबी निभाया और शनि ग्रह की सैकड़ों तस्वीरें नासा को भेजीं।
सात साल लग गए शनि तक पहुंचने में
पृथ्वी से शनि ग्रह तक पहुंचने में कैसिनी को करीब सात साल लग गए। धरती से निकलते ही कैसिनी का सबसे पहला पड़ाव शुक्र ग्रह था। कैसिनी को इस ग्रह के पास से दो बार गुजरना पड़ा। फिर धरती के पास से होते हुए कैसिनी फिर बृहस्पति के पास पहुंचा और 6 महीने तक उसके चक्कर लगाए। जोवियन सिस्टम समझने के लिए कैसिनी को यहां गैलिलियो के साथ मिलकर काम किया। आखिर में साल 2004 में कैसिनी शनि की कक्षा में पहुंच गया। जिसके बाद शुरु हुआ उसका मिशन..
शनि के चंद्रमा यानी 'टाइटन' के पास से गुजरा
शनि की कक्षा में प्रवेश करते ही कैसिनी ने अपना काम करना शुरु कर दिया। उसका पहला मिशन था अपने साथ जिस यात्री को ले गया, उसे चंद्रमा यानी टाइटन पर छोड़ना। यह यात्री कोई इंसान नहीं बल्िक एक रोबोट था जिसे टाइटन पर गिरा दिया गया। इसका नाम ह्यूगन्स प्रोब था। इसने टाइटन के बारे में काफी जानकारियां इकठ्ठा कर नासा को भेजी थीं। ह्यूगन्स प्रोब को टाइटन पर छोड़ने के बाद कैसिनी आगे की ओर चल पड़ा।
शनि के छल्लों के आसपास घूमा
टाइटन के पास से गुजरने के बाद कैसिनी को शनि के छल्लों के बारे में पता लगाना था। एक-एक करके सभी छल्लों के बारे में जानकारी जुटाने के बाद उसका आखिरी पड़ाव शनि के नजदीक पहुंचना था। इतने नजदीक कि जहां तक आज तक कोई यान नहीं गया था।
शुरु हुआ आखिरी सफर
26 अप्रैल 2017 को कैसिनी अपने आखिरी मिशन पर निकल पड़ा। यह था छल्लों को पार कर शनि के नजदीक जाना। शनि के वायुमंडल में प्रवेश करते ही कैसिनी गैस की पतली परत के बीच अपने एंटीना को धरती की ओर सक्रिय बनाए रखने के लिए छोटे-छोटे विस्फोट करने लगा। लेकिन जैसे ही गैस की परत मोटी होती गई, यह अपनी शत-प्रतिशत क्षमता के साथ विस्फोट करने लगा और एक मिनट के अंतराल में ही पृथ्वी से यान का संपर्क टूट गया। इसके आखिरी ट्रांसमिशन ऑस्ट्रेलिया में नासा के एंटीना को मिले थे। शुक्रवार को एक लाख 13 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ग्रह पर अंतिम गोता लगाने के बाद कैसिनी खुद ही जलकर राख हो गया। इसके साथ कैसिनी का 20 साल लंबा सफर का अंत हो गया।
क्यों खत्म होना पड़ा कैसिनी को
कैसिनी का मिशन चार साल निर्धारित किया गया था, लेकिन यह बढ़िया काम कर रहा था। इसे देखते हुए इसका मिशन दो बार बढ़ाया गया था। नासा की मानें तो अंतरिक्ष यान को शनि के वातावरण में सुरक्षित रूप से नष्ट करने का फैसला इसलिए किया गया, ताकि किसी भी दिन इसकी शनि के चंद्रमाओं से टक्कर न हो जाए।
यह पता चला अब तक
कैसिनी के साथ भेजे गए 12 सूक्ष्म उपकरणों ने शनि व उसके सबसे बड़े उपग्रह टाइटन और शनि के वलयों पर बहुमूल्य जानकारी समेटी और पृथ्वी पर भेजी। इनकी मदद से वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब हो सके कि शनि ग्रह पर मौसम कैसे बदलता है, ग्रह पर भयंकर तूफान कैसे आते हैं आदि।
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