- हादसों के लिए कुख्यात हो गया है 165 किमी लंबा यमुना एक्सप्रेस-वे

- वर्ष 2012 से वर्ष 2016 के दौरान 4054 हादसों में 548 लोगों की मौत

आगरा: गुरूवार को आगरा के युवा कारोबारी उत्सव डंग की मौत। शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के स्कूल के बच्चों से भरी बस को पलटना। उसमें ड्राइवर की मौत होना। यानी जिंदगी का सफर, रोड पर ही खत्म हो रहा है। यमुना एक्सप्रेस-वे को यदि हादसों का रोड कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हादसों के लिए यह कुख्यात हो चुका है। पांच साल के अंतराल में 500 से अधिक लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं। जबकि चार हजार से अधिक घायल आज भी अपने जख्मों के निशान देखकर सिहर उठते हैं। अगस्त 2012 से लेकर अब तक एक्सप्रेस-वे पर चार हजार से ज्यादा एक्सीडेंट हुए हैं।

2016 में हुए सर्वाधिक एक्सीडेंट

यमुना एक्सप्रेस-वे पर शुरूआत यानी अगस्त 2012 से ही हादसों का सिलसिला जारी है। सबसे ज्यादा हादसे 2016 में हुए। इस साल 1193 एक्सीडेंट ने एक्सप्रेस-वे को झकझोर दिया। जबकि 2015 में यह आंकड़ा 919 था। जो गत वर्ष की तुलना में 30 परसेंट अधिक थी। हालांकि पिछले साल यानी 2016 में 128 की तुलना में वर्ष 2015 में 142 लोगों की मौत हुई।

टायर फटना बड़ा कारण

एक्सप्रेस वे पर निर्धारित गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा है। जबकि इस पर 150 से 160 किलोमीटर की गति से वाहन दौड़ते हैं। जिसके चलते वह संतुलन खो बैठते हैं या उनके टायर फट जाते हैं। सीआरआरआई (सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने भी सिक्स लेन वाले यमुना एक्सप्रेस वे हादसों का अहम कारण ओवर स्पीड और टायरों का फटना बताया है।

सुझावों पर नहीं कोई ठोस पहल

आगरा डेवलपमेंट फांउडेशन के सचिव केसी जैन ने सूचना के अधिकार के तहत यमुना एक्सप्रेस वे पांच साल के दौरान हुए हादसों की जानकारी हासिल की। केसी जैन के मुताबिक इसे लेकर संस्था ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने संस्था को अपने सुझाव मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी को देने के निर्देश दिए थे। संस्था के सुझावों पर कमेटी ने कोई ठोस पहल नहीं की।