जाने कितने वर्ष लग जाएंगे

9 नवंबर 2000 को देश के 27वें स्टेट के रूप में उत्तराखंड अस्तित्व में आया। हिमालय के आंचल में बसे इस राज्य में कुदरत ने वो सब खजाना परोस कर दिया था, जिससे यहां की टूरिज्म इंडस्ट्री  बेहतर तरीके से डेवलप हुई। इसीलिए इस प्रदेश को पर्यटन प्रदेश के नाम से भी जाना जाने लगा। जाने कुदरत ने क्या नाराजगी जताई, चंद पलों में यह सब तबाह हो गया। हालात ये हैं कि स्थानीय लोगों के पास भी पहाड़ों से पलायन के सिवाय दूसरा विकल्प नजर नहीं आ रहा। प्रदेश के आधे हिस्से को वापस ट्रैक पर आने के लिए जाने कितने वर्ष लग जाएंगे, विशेषज्ञ भी अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं।

कहां से हो शुरुआत

कुदरत के कहर से सबसे ज्यादा नुकसान राज्य की  बैक बोन कहे जाने वाले टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ा है। खुद पर्यटन महकमा के भी समझ में नहीं आ रहा है कि वे नुकसान की शुरुआत किधर से करें। बकायदा नुकसान को लेकर थर्सडे को मंत्री की मौजूदगी में मीटिंग बुलाई गई थी। लॉस के बारे में समझ में न आने के लिए मीटिंग की तारीख भी आगे खिसका दी गई।

चैंबर ऑफ कॉमर्स का आकलन

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिसर्च पर विश्वास किया जाए तो इस साल के फाइनेंशियल इयर में महा जल प्रलय से उत्तराखंड टूरिज्म को तकरीबन 12 हजार करोड़ का प्योर लॉस उठाना पड़ा है। यह स्टेट जीडीपी का 25-30 परसेंट बताया गया है। इस रिपोर्ट पर टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड भी कई बार इत्तेफाक रख रही है तो कई बार कुछ कहने को असमंजस में है।

टूरिज्म इंडस्ट्री का मतलब

विभाग के आलाधिकारियों की मानें तो वे कहते हैं कि हो सकता है कि इतना नुकसान प्रदेश में टूरिज्म इंडस्ट्री को हुआ हो। या आने वाले दो-तीन सालों तक, जब तक टूरिज्म इंडस्ट्री पटरी पर न आए, वह नुकसान भी इसमें जुड़ा हो। लेकिन महकमे के आला अधिकारी तो स्वीकार रहे हैं कि टूरिज्म इंडस्ट्रीज को खासा नुकसान हुआ है। टूरिज्म इंडस्ट्रीज की बात करें तो यहां रिलीजियस टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, होटेल्स, ढ़ाबा, टैक्सी, रीवर राफ्टिंग, ट्रांसपोर्टेशन, जीएमवीएन, केएमवीएन, मंदिर समिति का चढ़ावा, वीर चंद्रसिंह गढ़वाली अनुदान योजना, ट्रैकिंग, बाइकिंग, रेलवे जैसे डेढ़ दर्जन तक व्यवसाय टूरिज्म इंडस्ट्री में ही शामिल हैं। महा जल प्रलय ने इसका विनाश कर डाला।

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सेल्फ इंप्लॉयमेंट भी चौपट

अकेले युवाओं को इंप्लॉयमेंट देने के लिए प्रदेश सरकार ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के तहत हर फाइनेंशियल इयर में 13 करोड़ रुपए तक के बजट का प्रावधान रखा हुआ है। कई बेरोजगारों को होटल, ढ़ाबा, रेस्तरां, गाड़ी जैसे इंप्लॉयमेंट के लिए स्वरोजगार प्रोवाइड करवाया था, लेकिन कुदरत के कहर ने यह सब भी मटियामेट कर दिया है।

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केंद्र को जाएगा प्रपोजल

उत्तराखंड पर्यटन विभाग का बजट करीब एक सौ पंद्रह करोड़ तक का बताया गया है। इसमें इस साल केंद्र से टूरिज्म डेवलपमेंट के लिए करीब सौ करोड़ रुपए अतिरिक्त भी दिए थे। आपदा के बाद अब तक केंद्र ने फिर से करीब 95 करोड़ रुपए दिए हैं। जाहिर है कि जहां हजारों करोड़ रुपये में स्टेट टूरिज्म की पटरी आउट ऑफ ट्रैक हो गई हो, वहां ये सब ऊंट के मुंह में जीरा जैसा लगता है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि वे केंद्र सरकार के सामने नुकसान का प्रस्ताव रखेंगे।

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पौने तीन करोड़ टूरिस्ट

उत्तराखंड में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए हर साल यहां टूरिस्ट का अंबार लग जाता है। लास्ट इयर करीब पौने तीन करोड़ और उससे पिछले वर्ष कुंभ के दौरान सवा तीन करोड़ टूरिस्ट उत्तराखंड पहुंचे थे। इस बार भी तीन करोड़ टूरिस्ट के पहुंचने की संभावनाएं थी। अकेले पिछले साल भगवान बद्रीनाथ में साढ़े दस लाख और केदारनाथ में करीब पौने छह लाख यात्री दर्शनों के लिए पहुंचे थे। यह आंकड़ा हर साल बढ़ते जा रहा है।

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रिपोर्ट के लिए दिए गए आदेश

थर्सडे को उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड के मुख्यालय में टूरिज्म मिनिस्टर के साथ आलाधिकारियों की बैठक संपन्न हुई। कुछ देर चली बैठक आगे नहीं बढ़ पाई। वजह नुकसान का अनुमान अब तक नहीं लगाया जा सका। निर्णय लिया गया कि सभी क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी तीन दिनों के भीतर मुख्यालय में नुकसान को लेकर अपनी रिपोर्ट सब्मिट करेंगे।

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80 करोड़ के टीआरएच बह गए

हिमालयी सुनामी से पर्यटन को हुए नुकसान का कुछ आंकड़ा हासिल हुआ है। जिसके तहत बताया गया कि गढ़वाल मंडल विकास निगम व कुमाऊं मंडल विकास निगम के कई टूरिस्ट रेस्ट हाउस बह गए। जिसके कारण करीब 80 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। केएमवीएन के पांच करोड़ का अनुमान है। जीएमवीएन के बह गए टीआरएच में रामबाड़ा, गौरीकुंड, सोन प्रयाग, अगस्त्यमुनी, चंद्रमुखी और कुंड शामिल हैं।

::वर्जन::

देखिए, यह सच है कि टूरिज्म स्टेट की बैक बोन है, लेकिन अभी कितना नुकसान हुआ होगा, पता नहीं चल पाया है। अधिकारियों को रिपोर्ट देने के आदेश दिए गए हैं। एक-दो दिनों में सही रिपोर्ट आ जाएगी। हां इतना तय है कि आपदा के कारण नुकसान भारी हुआ है।

डा। उमाकांत पंवार,

सचिव पर्यटन।

पीएचडी चैंबर ने 12 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। लेकिन इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगा। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों से रिपोर्ट देने के लिए आदेश दिए गए हैं। सात-आठ जुलाई तक रिपोर्ट सामने आ जाएगी। वही एक्चुवल फीगर होगी।

एके द्विवेदी, जेडी, उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड।