- मुकुल गुप्ता के मां-बाप की हत्या के मामले में शक की सुई आईपीएस पर

- इसी हफ्ते सीबीआई करेगी गौड़ से पूछताछ, मुरादाबाद पीएसी में हैं तैनात

- मुकुल गुप्ता के फर्जी इनकाउंटर की सीबीआई जांच में गौड़ मिले थे दोषी

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW:आईपीएस अधिकारी जे। रवींद्र गौड़ एक बार फिर सीबीआई के निशाने पर हैं। आईपीएस बनने के बाद ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बरेली में जिस कंप्यूटर ऑपरेटर मुकुल गुप्ता को फर्जी इनकाउंटर में ढेर कर दिया था, अब उसके मां-बाप की हत्या के मामले में शक की सुई जे। रवींद्र गौड़ पर आकर टिक गयी है। मुकुल गुप्ता फर्जी इनकाउंटर केस की तरह सीबीआई इस मामले की जांच भी कर रही है। सूत्रों की मानें तो सीबीआई इस प्रकरण में इसी हफ्ते में गौड़ से पूछताछ करने जा रही है। मुरादाबाद स्थित पीएसी नौवीं वाहिनी में तैनात गौड़ को इस बाबत सीबीआई ने आगाह भी कर दिया है। यह पूछताछ दिवाली से पहले होनी थी पर इसे नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। दरअसल सीबीआई को अंदेशा है कि मुकुल गुप्ता के मां-बाप की हत्या में भी इनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों का हाथ हो सकता है।

पुलिस ने किया बेटे का कत्ल

बदायूं में रहने वाले ब्रजेंद्र कुमार गुप्ता के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ उस वक्त टूट पड़ा जब 30 जून 2007 को निजी कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर उनके पुत्र मुकुल गुप्ता को बरेली पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस ने दावा किया कि मुकुल गुप्ता बैंक डकैती के इरादे से निकला था और इस दौरान पुलिस से उसका आमना-सामना हो गया। इनकाउंटर अंजाम देने वाली टीम में तत्कालीन ट्रेनी आईपीएस जे। रवींद्र गौड़ भी थे। इसके बाद ब्रजेंद्र कुमार गुप्ता ने अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की। लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने पुलिस मुठभेड़ को फर्जी करार देने के साथ अदालत में नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जिसमें जे। रवींद्र गौड़ का नाम भी था। वहीं ब्रजेंद्र गुप्ता ने आरोपी पुलिसकर्मियों को सजा दिलाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखी और लोअर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक लगातार पैरवी करते रहे। हालांकि इस बीच जे। रवींद्र गौड़ को सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी न होने की राहत मिल गयी।

नहीं मिला कोई सुबूत

अचानक आठ अप्रैल 2015 को बदायूं के ब्रहापुरा इलाके में रहने वाले बिजेंद्र गुप्ता और उनकी पत्नी सन्नो गुप्ता की हत्या कर दी गयी। बदमाशों ने दोनों के शरीर पर धारदार हथियार से कई वार किए थे। इस दोहरे हत्याकांड से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। बाद में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति कर दी। सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रांच के एसपी एसके खरे की अगुवाई में इस मामले से जुड़े तमाम सुबूत और गवाह जुटाकर घटना की कडि़यां जोड़ने की कोशिश की गयी। घटनास्थल से मिले एक चाकू और पेचकस की सीबीआई की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जांच करायी गयी। शक के दायरे में आए युवक विनोद से सीबीआई ने कई बार पूछताछ की लेकिन कोई ऐसा ठोस सुबूत हाथ नहीं लगा जिससे हत्यारों की पहचान हो पाती। यह भी साफ हो गया कि घटना लूट के इरादे से नहीं की गयी थी। इसके बाद सीबीआई के शक के दायरे में वे पुलिसकर्मी आ गये जो मुकुल गुप्ता के फर्जी इनकाउंटर में शामिल थे। आशंका जताई जाने लगी कि ब्रजेंद्र गुप्ता द्वारा अदालत में की जा रही पैरवी उन्हें सजा दिला सकती थी लिहाजा साजिश के तहत बिजेंद्र और उनकी पत्‍‌नी की हत्या कर दी गयी। इनमें सबसे पहला नाम आईपीएस जे। रवींद्र गौड़ का है।

इन पुलिसकर्मियों को पाया गया था दोषी

आईपीएस जे। रवींद्र गौड़, गौरीशंकर विश्वकर्मा, जगबीर सिंह, एसआई देवेंद्र कुमार शर्मा, विकास सक्सेना, मूला सिंह, आरके गुप्ता, वीरेंद्र शर्मा, अनिल कुमार।

फैक्ट फाइल

- 30 जून 2007 को बरेली के फतेहगंज पश्चिमी में मुकुल गुप्ता की फर्जी इनकाउंटर में हुई थी मौत

- 24 सितंबर 2013 को यूपी सरकार ने जे। रवींद्र गौड़ के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया

- 26 फरवरी 2014 को हाईकोर्ट ने शासन द्वारा अभियोजन स्वीकृति न दिए जाने को खारिज किया

- 26 अगस्त 2014 को सीबीआई ने नौ पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

- 08 अप्रैल 2015 को मुकुल गुप्ता के मां-बाप की बदायूं में धारदार हथियार से वार कर हत्या कर दी गयी