चल रही है प्रदेशव्यापी जांच

दो डिप्टी सीएमओ और एक सीएमओ की मौत के बाद एनआरएचएम घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। वेडनसडे को सीबीआई ने पूरे देश में 60 जगहों पर छापेमारी करके डॉक्युमेंट्स खंगाले। इसी के तहत सीबीआई सिटी में कार्रवाई करने के लिए पहुंची थी।

क्लर्क को फंसाने की थी कोशिश

एनआरएचएम घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद उसके सुबुतों को खुर्दबुर्द करने की कोशिश की गई थी। इसमें एक क्लर्क कमल गुप्ता को भी फंसाने की कोशिश की गई। लेकिन, छह जून को ही उसने सीएमओ को टेलीग्राम भेजकर इसकी जानकारी दे दी थी। अगले दिन कमल गुप्ता ने डीआईजी को भी कंप्लेन की थी। कंप्लेन में कहा गया था कि हेल्थ डिपार्टमेंट के कुछ ऑफिसर्स वहां आए और उन्होंने अलमारी की चाबी मांगी। इसके बाद वह चाबी लेने घर चले गए और ऑफिसर्स ने अलमारी के ताले को तोड़ दिया। उन्होंने एनआरएचएम के डॉक्युमेंटस को कस्टडी में ले लिया था। इसके बाद शासन ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

छुट्टी ने बचाई जान

वहीं, वेडनसडे को लोकल होलीडे के चलते दिल्ली से आई सीबीआई की टीम को घोटाले में कोई तथ्य हाथ नहीं लगे। सोर्सेज के अनुसार, सुबह नौ बजकर 35 मिनट पर सीबीआई के आठ मेंबर्स दो गाडिय़ों से  लेडी लॉयल स्थित परिवार कल्याण विभाग पहुंचे। मगर, लोकल हॉलीडे के चलते टीम को डिपार्टमेंट बंद मिला। टीम के लौटने के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।

मची खलबली

वहीं, टीम के आने की सूचना से हेल्थ डिपार्टमेंट के आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया। सीएमओ डॉ। राम रतन पूरे मामले में कुछ भी बोलने से इंकार करते रहे। वहीं, कई अधिकारियों ने अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर लिए।

करोड़ों का मिलता है बजट

12 सितम्बर 2011 को कैग की पांच मेम्बर्स की टीम एनआरएचएम के प्रोजेक्ट्स की जांच करने के लिए पहुंची थी। टीम को जांच के दौरान डीजल में फर्जी पेमेंट की स्लिप भी मिली थीं। वहीं, आशा वर्कर्स को मिलने वाले चेक में भी टीम को संदेह हुआ था। कई चेक को टीम अपने साथ जांच के लिए ले गई थी और पेट्रोल पम्प पर जाकर टीम ने पेमेंट का वेरीफिकेशन भी किया था। बता दें कि एक साल में डिस्ट्रिक्टको एनआरएचएम स्कीम के तहत 10 करोड़ का बजट मिलता है।

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कैग टीम के क्वेश्चंस

- एएनएम और आशा वर्कर्स पर प्रत्येक केस के हिसाब से एक महीने में चार से सात हजार रुपया खर्चा किया जाता है। इसका पेमेंट कैसे और कितना हुआ।

-प्रत्येक डिस्ट्रिक्ट के दो सीएचसी को हर साल मिलने वाले दो लाख का बजट कहां इस्तेमाल हुआ?

- मेंटेनेंस ग्रांट के नाम पर सीएचसी को एक लाख रुपए का बजट कैसे यूज किया गया?

- हेल्थ सिस्टम सुधारने के लिए 2005-006 में 6713 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इनकी पेमेंट, टेंडर और चेक की जांच हुई?

-जननी सुरक्षा योजना पर प्रत्येक रूरल एरिया की महिला को गवर्नमेंट हॉस्पिटल में डिलीवरी पर 1400 और अर्बन महिला को 1100 रुपए दिए जाते हैं। किस एरिया की कितनी महिलाओं को इसका लाभ मिला?

-पल्स पोलियो अभियान पर हर साल एक राउंड पर 44 लाख रुपए खर्च होता है। कितने बच्चों को पोलियो की ड्रॉप पिलाई गई?

- मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हर साल एनआरएचएम के तहत करोड़ों रुपए सेनीटेशन और न्यूट्रीशियन पर खर्च होते हैं। इनका कैसे इस्तेमाल हुआ?

- इन प्रोजेक्ट्स पर एएनएम और आशा वर्कर्स पर प्रत्येक केस के हिसाब से एक महीने में चार से सात हजार रुपया खर्चा किया जाता है।

- प्रत्येक डिस्ट्रिक्टके दो सीएचसी को हर साल दो लाख रुपए का बजट मिलता है।

- मेंटेनेंस ग्रांट के नाम पर सीएचसी को एक लाख रुपए का बजट अलग से मिलता है।

- 18 स्टेट्स में एनआरएचएम के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

- हेल्थ सिस्टम सुधारने के लिए 2005-006 में 6713 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

- जननी सुरक्षा योजना पर प्रत्येक रूरल एरिया की महिला को गवर्नमेंट हॉस्पिटल में डिलीवरी पर 1400 और अर्बन महिला को 1100 रुपए

दिए जाते हैं।

- पल्स पोलियो अभियान पर हर साल एक राउंड पर 44 लाख रुपए खर्च होता है।

- मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हर साल एनआरएचएम के तहत करोड़ों रुपये सेनीटेशन और न्यूट्रीशियन पर खर्च होते हैं।

Report by- Aparna sharma acharya