67 स्कूल सीबीएसई पैटर्न के नाम पर कर रहे है धोखाधड़ी, इनमें कई नामचीन स्कूल भी शामिल

बेसिक शिक्षा परिषद से प्राइमरी की इंग्लिश मीडियम क्लासेस का मिला है एफि लिसिएशन

सीबीएसई पैटर्न से प्ले ग्रुप, नर्सरी व प्राइमरी की क्लासेस चला रहे है

-वसूल रहे हैं मनमानी फीस

BAREILLY:

सीबीएसई पैटर्न और पब्लिक स्कूल के नाम पर जेब ढीली कराने वाले प्राइमरी स्कूलों से सावधान हो जाइए। अपने प्रॉस्पेक्टस और वेबसाइट पर 'सीबीएसई पैटर्न' लिखकर लोगों को गुमराह कर रहे स्कूल असल में बेसिक शिक्षा परिषद से इंग्लिश मीडियम का एफि लिसिएशन लेकर घूम रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग की नाक के नीचे सीबीएसई पैटर्न दिखाकर ये स्कूल पैरेंट्स का ठग रहे हैं। इस गोरखधंधे में तमाम नामचीन स्कूल भी शामिल हैं

वेबसाइट नहीं ये है फ्राॅडसाइट

डिस्ट्रिक्ट में इस समय म्7 स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद से प्राइमरी लेवल की इंग्लिश मीडियम मान्यता से संचालित हैं। इनमें से 90 फीसदी स्कूल्स ने इंटरनेट पर वेबसाइट बनाकर अपनी जानकारी अपलोड की है। अपनी वेबसाइट में इनके द्वारा खुद को सीबीएसई एफिलिएटेड बताया गया है। प्री-नर्सरी और प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल तक की क्लासेस को सीबीएसई पैटर्न या एफिलिएटेड दिखाने वाले स्कूल खुलेआम लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ऐसा तब है जबकि सीबीएसई प्री-प्राइमरी और प्राइमरी क्लासेस की मान्यता देता ही नही है।

फीस पर हैं सख्त गाइड लाइंस

बेसिक शिक्षा परिषद ने इंग्लिश मीडियम से प्री-प्राइमरी, प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल की मान्यता देना वर्ष ख्0क्फ् से शुरू किया है। इनकी गाइड लाइंस में 'निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार' नियम के तहत सभी नियम लागू होने है। इन गाइड लाइंस में फीस को लेकर सख्त नियम है जिसमें स्कूल द्वारा मनमाफिक फीस वसूलने को अवैध बताया गया है। क्लास क् से 8वीं तक के स्टूडेंट का एडमिशन लेते समय किसी भी तरह का टेस्ट लेना, एडमिशन के लिए प्री-रजिस्ट्रेशन कराना और एडमिशन करने से मना करना पूरी तरह से बैन किया गया है। परिषद से एफिलिएटेड स्कूल तीन साल से पहले टीचिंग फीस नही बढ़ा सकते। इसके साथ ही आदेश है कि स्कूल फीस में क्0 परसेंट से ज्यादा बढ़ोत्तरी नही कर सकते। बावजूद इसके तथाकथित रूप सीबीएसई पैटर्न पर चल रहे पब्लिक स्कूल मनमानी फीस वसूली से बाज नहीं आते हैं।

सिलेबस में नहीं कर सकते मनमानी

नया सेशन शुरू होने पर स्कूल द्वारा एडमिशन के समय एक खास शॉप से ही सिलेबस और यूनिफार्म खरीदने का दबाव बनाया जाना अब ट्रेंड बन गया है। जबकि स्कूल किसी पर्टिकुलर पब्लिकेशन या फिर अपने नाम से प्रिंटेड वर्क बुक खरीदने के लिए दबाव नहीं बना सकते। इंग्लिश मीडियम के इन स्कूलों को सिर्फ एनसीईआरटी, एससीईआरटी या फिर बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा रिकमेंडेड बुक्स से ही पढ़ाने के निर्देश हैं। इसके साथ ही नियम कहते है कि अगर परिषद से मान्यता प्राप्त ये इंग्लिश मीडियम स्कूल ऐसा करते हैं तो इनकी मान्यता वापस ले ली जाए

गुपचुप एफिलिसिएशन पर सबकी चुप्पी

बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा इंग्लिश मीडियम का एफिलिसिएशन होने पर भी सीबीएसई पैटर्न शब्द का इस्तेमाल करते हुए स्कूल खेल कर रहे हैं। इन स्कूलों की हरकत की बेसिक शिक्षा विभाग को पूरी खबर है, लेकिन कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं उठा रहा। क्योंकि इन म्7 स्कूलों की लिस्ट में कई बड़े नाम भी हैं। इस बाबत बीएसए ने सिर्फ इतनी ही जानकारी दी कि वर्ष ख्0क्फ् से अब तक जिले के म्7 स्कूलों को अग्रेजी माध्यम की मान्यता मिली है। हालांकि बीएसए दफ्तर के एक अन्य बड़े अधिकारी द्वारा एक्शन न ले पाने की मजबूरी को दबी जुबान में बताया गया। असल में पूर्व बीएसए ने फर्जी स्कूलों के खिलाफ एक्शन लेने की कोशिश की थी, जिसके बाद प्रशासनिक दबाव के चलते इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।