सन् 2010 से चल रही कवायद

बोर्ड पिछले तीन साल से एफिलिएटेड स्कूल्स से यह डिटेल मांग रहा है। हालांकि इसके बाद कुछ स्कूल्स ने अपने वेबसाइट पर आधा अधूरा डिटेल अपलोड कर दिया। लेकिन बहुत सारे ऐसे हैं जिन्होंने आधा अधूरा डिटेल भी अपलोड नहीं किया। बता दें कि 18 अक्टूबर 2010 को सकुर्लर जारी किया था। इसके बाद पांच दिसंबर 2011 को भी स्कूल व मैनेजमेंट से सारी इंफॉर्मेशन देने के लिए लेटर लिखा गया था। एक बार फिर 17 जून 2013 को सीबीएसई ने सभी स्कूल्स को लेटर लिखा है।

लास्ट डेट 15 सितंबर

बोर्ड ने सभी स्कूल्स से कहा है कि वे वेबसाइट पर एफिलिएशन स्टेटस, इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचर्स का नाम व पोस्ट, क्लासवाइज स्टूडेंट्स के इनरोलमेंट, ई मेल एवं टेलीफोन सहित एड्रेस, स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के मेंबर्स की जानकारी जल्द से जल्द अवेलेबल कराएं। हर हाल में सभी स्कूल्स 15 सितंबर से पहले वेबसाइट पर मांगी गयी इंफॉर्मेशन अपलोड कर देना है। साथ ही इसकी हार्ड कॉपी बोर्ड को भी भेजना है। जिसके लिए बोर्ड की साइट पर प्रोफॉर्मा भी दिया गया है।

इसलिए बचता है मैनेजमेंट

सीबीएसई स्कूल्स अपने यहां पढऩे वाले स्टूडेंट्स की संख्या तो बता देते हैं। लेकिन अधिकतर स्कूल्स टीचर्स की सेलरी नहीं बताना चाहते हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि कई स्कूल टीचर्स को नियमानुसार सेलरी नहीं देते हैं। इस वजह से टीचर्स का शोषण भी होता है। अब क्या करें नौकरी की मजबूरी में कई बार टीचर्स भी चाहते हुए भी बोल नहीं पाते हैं।

तो फंस जाएगा एग्जाम

वेबसाइट पर डायरेक्शन के मुताबिक इंफार्मेशन अपलोड न करने वाले स्कूल्स फंस सकते हैं। ऑर्डर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूल्स की ओर से जानकारी नहीं दिए जाने पर उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। खास बात यह कि प्रॉपर डिटेल अपलोड न करने वाले स्कूल्स को बोर्ड एग्जाम में शामिल नहीं किया जाएगा।

सीबीएसई की ओर से बहुत पहले ही यह डायरेक्शन दिया था। लेकिन इसको फॉलो नहीं किया जा रहा है। अब इस बार इसे फॉलो करना ही होगा।

वीके मिश्र, कोऑर्डिनेटर

सीबीएसई