- सीबीएसई ने कैशलेस योजना के तहत लिया अहम निर्णय

- पैरेंट्स घर बैठे इंटरनेट से जमा करा सकेंगे बच्चों की फीस

- देहरादून रीजनल ऑफिस लेवल पर शुरू हुई मुहिम

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DEHRADUN: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन से जुड़े स्कूल नए साल से कैशलेस होंगे। बोर्ड ने स्कूलों को कैशलेस बनाने की मुहिम पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत अब स्कूलों में जमा होने वाली फीस से लेकर स्टाफ की सैलरी आदि सभी पेमेंट ऑनलाइन होगा। बोर्ड ने सभी एफिलिएटेड स्कूलों को जनवरी क्7 से कैशलेस बनाने के निर्देश भी दे दिए हैं।

नोटबंदी के बाद से स्कूलों में फीस जमा करने को लेकर पैरेंट्स को खासी मुसीबत उठानी पड़ रही है। कई स्कूल तो चेक आदि से फीस लेने से भी साफ इनकार करते दिखाई दिए, इतना ही नहीं बहुत से स्कूलों ने तो लेट फीस के नाम पर वसूली भी करने से भी गुरेज नहीं किया। लेकिन अब यह तमाम हथकंडे स्कूलों के काम नहीं आएंगे। नेक्स्ट सेशन से स्कूलों को पूरी तरह से कैशलेस होना होगा। इसके लिए बोर्ड ने साफ और कड़े निर्देश जारी कर दिए हैं।

स्कूलों को जारी किया सर्कुलर

डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देते हुए सीबीएसई ने एफिलिएटेड स्कूलों को जनवरी ख्0क्7 से इस मुहिम को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए स्कूलों को सर्कुलर भी जारी कर दिया गया है। सर्कुलर के मुताबिक सीबीएसई स्कूलों में फीस लेने से लेकर टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को पेमेंट देने तक का सारा काम ऑनलाइन होगा। बोर्ड ने स्कूलों को कहा कि कैशलेस ट्रांजेक्शन का लाभ काफी बड़ा है। बोर्ड ने एग्जाम के लिए भी ई-पेमेंट की सुविधा दी है। एफिलिएशन के लिए भी ई-पेमेंट का ऑप्शन दिया है। इसी कड़ी में अब स्कूल भी कैशलेस पॉलिसी को आगे बढ़ाते हुए कर्मचारियों की सैलरी बैंक ट्रांसफर के जरिए वितरित करें। इतना ही नहीं बोर्ड ने कैश ट्रांजेक्शन को कम करने के लिए फीस का कलेक्शन भी ऑनलाइन मोड में करने के आदेश दिए हैं।

बोर्ड का प्रयास है कि डिजिटल इंडिया की मुहिम में ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट किया जाए। स्कूलों को कैशलेस बनाने के मकसद से स्कूल में उपयोग में लाई जा रही फीस, जमा सहित अन्य सेवाओं जैसे ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को भी नॉन कैश मोड में पेमेंट करने को कहा गया है।

----- रनवीर सिंह, रीजनल ऑफिसर, सीबीएसई देहरादून

यह पहल पैरेंट्स को काफी राहत देगी। इससे उन्हें न तो बैंकों में जाना होगा और न ही स्कूलों में फीस जमा करने के लिए लंबी लाइनों में लगना होगा। स्कूलों के लिए भी यह प्रयास काफी सहूलियत भरा होगा। स्कूलों द्वारा पैरेंट्स को भी इसे लेकर जागरूक किया जाएगा।

----- रौनक जैन, डायरेक्टर, तुलाज इंटरनेशनल स्कूल