कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें जगाने के लिए आवाज लगाना काफी नहीं होता। उन्हें झकझोरना पड़ता है या फिर चौंकाना पड़ता है। अब अपने गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स के एडमिनिस्ट्रेशन को ही लीजिए। कैम्पस की सिक्योरिटी को लेकर अब तक ये आंखें बंद किए पड़े थे। लेकिन बीते दिनों 50 हजार के इनामी सनी सिंह के एनकाउंटर में चली गोलियों ने अब एडमिनिस्ट्रेशन की आंखें खोल दी है

फायरिंग के बाद कैमरा आया याद

-सनी सिंह के एनकाउंटर के बाद अफसरों मंडलीय और गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल की सिक्योरिटी आई याद

- पहले ही प्रमुख सचिव और डीएम इंस्पेक्शन के दौरान दे चुके हैं कैम्पस में सीसी कैमरा लगाने का निर्देश

- लेकिन लेटेस्ट कांड के बाद फास्ट हुआ है हेल्थ डिपार्टमेंट व हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन

VARANASI

जाहिर सी बात है कि जब तक मर्ज बढ़ता नहीं तब तक ईलाज पर ध्यान जाता नहीं है। कुछ ऐसी ही हालात है अपने गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स की। गवर्नमेंट वीमेंस हॉस्पिटल कबीरचौरा में हाल के दिनों में भ्0 हजार के ईनामी बदमाश सनी सिंह एनकाउंटर में तड़तड़ाई गोलियों के बाद गवर्नमेंट हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की नींद टूटी है। हॉस्पिटल में कोई और अनहोनी नहीं हो इसके लिए हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने पूरे हॉस्पिटल कैंपस में सीसीटीवी कैमरा लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि सीसी कैमरा लगाने के लिए बहुत पहले ही इंस्पेक्शन पर आए प्रमुख सचिव हेल्थ डॉ। अरविंद कुमार व डीएम प्रांजल यादव निर्देश दे चुके हैं। लेकिन इनके आदेशों पर दोबारा कोई चर्चा तक नहीं हुई। लेकिन गोलियों की तड़तड़ाहट के बाद सभी गंभीर हो गए हैं।

लखनऊ मीटिंग में हुई चर्चा

लखनऊ में शनिवार को आयोजित चिकित्सा व स्वास्थ्य सुविधाओं से संबंधित मीटिंग में हिस्सा लेने गये बनारस के हेल्थ डिपार्टमेंट के सीनियर ऑफिसर्स ने इस इश्यू पर चर्चा की है। मीटिंग में मौजूद मेडिकल व हेल्थ से जुड़े एक सीनियर ऑफिसर ने बताया कि मंडलीय व जिला महिला हॉस्पिटल की सिक्योरिटी के लिए खास दिशा निर्देश दिया गया है। मीटिंग में अस्पताल में हुए मुठभेड़ को लेकर भी चर्चा हुई।

पहले से है लापरवाही

मंडलीय व जिला महिला चिकित्सालय में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पहले से ही काफी लापरवाही है। हॉस्पिटल में पुलिस चौकी तो है लेकिन उसका इस्तेमाल अब सिर्फ पुलिस वालों के आराम के लिए होता है। ताजा घटनाक्रम से ये भी साफ हो चुका है कि इस पुलिस चौकी को लेकर अपराधियों में कोई खौफ नहीं। वो इस हॉस्पिटल कैम्पस का यूज लम्बे समय से मीटिंग पॉइंट के रूप में कर रहे थे। इसके अलावा आये दिन कैम्पस में छेड़छाड़, बदसलूकी, मारपीट, हंगामे की घटनाएं होती हैं। सुरक्षा के इंतजाम न होने के कारण पेशेंट, उनके परिजनों तथा स्टाफ के यहां चोरी की घटनाएं भी हो चुकी हैं।

बच्चा भी हो चुका है चोरी

मंडलीय व जिला महिला हॉस्पिटल की सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर है कि एक-दो बार नवजात बच्चों की चोरी भी हो चुकी है। इसके अलावा वॉर्ड से रुपये, मोबाइल या कीमती सामान चोरी जाने की अनगिनत घटनाएं हैं, जिसमें कभी रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती है।

यदि लग जाए कैमरे तो

- इमरजेंसी में आने-जाने वालों पर पूरी नजर रखी जा सकेगी।

- वार्ड तथा कैम्पस में चोरी की घटनाओं पर कंट्रोल हो सकेगा।

- हॉस्पिटल कैम्पस में लम्बे समय से जमे दलाल बेनकाब हो सकेंगे।

- डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ के आने-जाने पर नजर रखी जा सकेगी।

- मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स की एक्टिविटीज को आसानी से वॉच किया जा सकेगा।

- ओपीडी सेक्शन में सभी रूम्स तथा कैम्पस की आसानी से निगहबानी होगी।

कुछ ऐसा है कैमरा लगाने का प्लैन

-मंडलीय व महिला हॉस्पिटल के मेन गेट के अंदर व बाहर।

-दोनों हॉस्पिटल्स के कैंपस में तीन से चार पॉइंट्स पर।

-दोनों हॉस्पिटल्स की ओपीडी में अंदर तथा बाहर।

-चाइल्ड वार्ड के बाहर।

-इमरजेंसी वार्ड के अंदर व बाहर।

-पर्ची काउंटर व दवा वितरण कक्ष के बाहर।

-पेशेंट वार्ड में भी कुछ कैमरे लगाये जाएंगे।

-एसआईसी रूम से सभी कैमरों की मॉनिटरिंग होगी

बहुत पहले से ही सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना थी। हालांकि बीच में कुछ कारणों से अब तक योजना मूर्तरूप नहीं ले सकी। ऊपर के अधिकारियों से बातचीत चल रही है।

डॉ। आरपी चतुर्वेदी, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल