इंस्पेक्टर व एसओ की कार्यशैली को हाईटेक बनाने के लिए एसएसपी ने उठाया कदम

कंप्यूटरराइज्ड करने के लिए सात साल पहले हुआ था सीसीटीएनएस का शुभारंभ

Meerut। जो थानेदार सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) टेस्ट में पास होगा। वहीं थाने का चार्ज संभालेगा। इस टेस्ट में फेल होने वाले को पुलिस लाइन का रास्ता दिखाया जाएगा। ये कहना है शहर के एसएसपी अखिलेश कुमार का का। एसएसपी ने बताया कि थाने की जनरल डायरी जीडी यानि सीसीटीएनएस पर ऑनलाइन लिखी जा रही हैं। यही नहीं विवेचनाएं भी लैपटॉप पर हो रही हैं। मगर कुछ थानेदारों का हाथ ऑनलाइन पुलिसिंग में तंग है। उन्हें सीसीटीएनएस पर रोजमर्रा के काम की भी जानकारी नहीं है। ऐसे थानेदारों को अब पुलिस लाइन का रास्ता देखना पड़ेगा।

हाइटेक होगी पुलिसिंग

सीसीटीएनएस पुलिसिंग को आसान बनाने के लिए बेहद उपयोगी है। इससे सभी थानों के जुड़ने के बाद ऑनलाइन जीडी लिखे जाने की व्यवस्था शुरू हो गई है। अब कई विवेचक ऑनलाइन विवेचना भी कर रहे हैं। मगर अभी बहुत से थानेदार ऐसे हैं, जिन्हें सीसीटीएनएस के बारे में जानकारी ही नहीं है। कंप्यूटर ऑपरेटर उनके हिस्से की जिम्मेदारी खुद निभा रहे हैं। ऐसे थानेदारों को चिहिंत करने के लिए एसएसपी ने नया तरीका अपनाया है। एसएसपी अखिलेश कुमार ने बताया कि जल्द ही थाना प्रभारियों का सीसीटीएनएस को लेकर टेस्ट लिया जाएगा। इसमें रोज काम आने वाले विकल्पों के बारे में पूछा जाएगा। जो थानेदारों के लिए उपयोगी हैं। इसमें फेल होने वालों को पुलिस लाइन भेजा जाएगा। हालांकि अच्छी जानकारी रखने वालो को प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।

सीसीटीएनएस के यह है फायदे

हर दिन थानेदारों को जीडी और एफआईआर का एप्रूवल करना होता है।

किसी भी अपराधी द्वारा बेल एप्लीकेशन पर थाने से रिपोर्ट मांगी जाती है। इसके लिए क्रिमिनल हिस्ट्री की जरूरत होती है। सीसीटीएनएस पर स्टेट लेबल सर्च से पूरे प्रदेश के थानों का रिकार्ड मिल जाता है।

घटनास्थल के निरीक्षण का एक प्रपत्र ऑनलाइन भरा जाता है। इसको अधिकतर थानों में आधा अधूरा भरा जा रहा है।

पब्लिक यूटिलिटी के विकल्प में सत्यापन और शिकायत ऑनलाइन आती हैं। कई थानों में इसे खोलकर नहीं देखा जाता।

इंवेस्टीगेशन सुपरवीजन हर दिन करना होता है। मगर इसमें भी थानेदार लापरवाही बरतते हैं।

किसी अपराधी के पकड़े जाने पर थानेदार सीसीटीएनएस के माध्यम से यह जान सकता है कि उसके खिलाफ देशभर में कितने मुकदमे हैं। इसके बाद भी थानेदार वायरलेस कर मुंशियों के भरोसे हैं।

रिकार्ड में हेर-फेर होना मुश्किल।

बहुत से कार्य अब पेपरलेस हो गए हैं।

कागज की बार-बार फोटो कॉपी नहीं करानी पड़ती।

इस सॉफ्टवेयर को हैक नहीं किया जा सकता है।

किरायेदार की जांच रिपोर्ट को भी इस सॉफ्टवेयर पर अपलोड किया जा सकता है।

घर के नौकर की विवरण देख जा सकता है।

यह है सीसीटीएनएस

सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) यानी थाने की जनरल डायरी का उद्देश्य प्रदेश के सभी थानों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ना था। एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिससे कंप्यूटर पर किसी भी केस का विवरण मिल जाए। सीसीटीएनएस में किसी भी एफआईआर और उसके स्टेसस को तत्काल देख जा सकता है।

32 थाने सीसीटीएनएस से लैस

वषरें से अधर में लटके सीसीटीएनएस का काम मेरठ जिले के 32 थानों में पूरा कर लिया गया है। एसएसपी ने बताया कि गत 2011 में प्रदेश में सीसीटीएनएस योजना का शुभारंभ हुआ था। अब जिले के सभी 32 थाने सीसीटीएनएस से लैस हो गए हैं।

जांच में पाया गया है कि कई थानेदारों को सीसीटीएनएस के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं है। ऐसे थानेदारों का सीसीटीएनएस का टेस्ट लिया जाएगा। जो थानेदार इसमें पास होगा। वह ही थाने का प्रभार संभालेगा।

अखिलेश कुमार, एसएसपी, मेरठ