विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थिति पर CDO ने जताई आपत्ति

ALLAHABAD: जिले में संचालित हो रहे विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्रों की तारीफ भले ही अपर श्रमायुक्त मुख्यालय कानपुर शकुंतला गौतम ने प्रमुख सचिव श्रम से की हो। भले ही इलाहाबाद मंडल इन केन्द्रों के संचालन में प्रदेश के दूसरे जनपदों से आगे हो। लेकिन, सीडीओ के निरीक्षण में इन केन्द्रों को संचालित करने वाले एनजीओ की पोल पट्टी खुल गई है। सीडीओ ने केन्द्रों को संचालित करने वाले एनजीओ कामचोर माना है और उन्हें हटाकर नए एनजीओ को जोड़ने का निर्देश दिया है जो बेहतर काम करते हों।

ग्रामीण क्षेत्र में अधिक परेशानी

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बालश्रम से बचाकर पढ़ाई-लिखाई के लिए जिले में कुल 59 विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्र संचालित होते हैं। इनमें से 15 शहरी क्षेत्र में और 44 ग्रामीण एरिया में हैं। हाल ही में सीडीओ आंद्रा वामसी के आदेश पर इन केन्द्रों का स्थलीय निरीक्षण किया गया। इनकी हालत काफी खराब पाई गई। इसे देखते हुए स्कूलों को संचालित करने वाले एनजीओ को बाहर करने का फैसला लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि प्रशासन की ओर से स्कूलों के लिए प्रयोग होने वाले भवनों का दो हजार रुपए किराया दिया जाता है, जो कि ग्रामीण एरिया के लिए पर्याप्त है। इसके बावजूद स्कूलों के हालात बेहतर नहीं है।

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जिम्मेदारियों को नहीं निभा रहे

जिला प्रशासन का कहना है कि इन केन्द्रों को भली प्रकार से संचालित नहीं किए जाने से यहां बच्चों की संख्या काफी कम है। बच्चे यहां पढ़ने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि बाल श्रम पर लगाम नहीं लग पा रही है। स्कूलों के देखरेख की जिम्मेदारी श्रम विभाग की है। डिप्टी लेबर कमिश्नर ही इन केन्द्रों के संबंध में रिपोर्ट श्रम मंत्रालय भारत सरकार और श्रमायुक्त को भेजते हैं। सीडीओ का कहना है कि प्रॉपर चेकिंग न होने से एनजीओ मनमानी कर रहे हैं। बता दें कि जिन बच्चों को छापेमारी के दौरान दुकानों से बरामद किया जाता है, उन्हें यहां नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है।

विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन ठीक से नहीं किया जा रहा है। चेकिंग में यह तथ्य सामने आया है। शासन को रिपोर्ट भेजी जा रही है। जो एनजीओ ठीक से काम नहीं कर रहे हैं, उनको हटाकर उनकी जगह नए एनजीओ को स्कूलों की कमान सौंपी जाएगी।

-आंद्रा वामसी,

सीडीओ इलाहाबाद

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इलाहाबाद को मिल चुकी है शाबाशी

विशेष बाल श्रम प्रशिक्षण केन्द्रों का संचालन केन्द्र सरकार की योजना के तहत किया जा रहा है। इनके देखरेख की जिम्मेदारी बाल श्रम विभाग की है। लेबर ऑफिस पर पहले से ही वर्कप्रेशर है। डिप्टी लेबर कमिश्नर एके सिंह बताते हैं कि यह मुद्दा सामने आने पर सरकार ने कांट्रैक्ट पर पीडी नियुक्त करने अथवा मजिस्ट्रेट को नामित कर देने को कहा है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत सर्वे कराकर काम शुरू करने वाला इलाहाबाद प्रदेश का पहला जिला है। इस पर अपर श्रमायुक्त शकुंतला गौतम यहां की तारीफ प्रमुख सचिव श्रम के समक्ष कर चुकी हैं। रही बात सरकार को रिपोर्ट भेजने की तो वह रेग्युलर बेसिस पर भारत सरकार और श्रमायुक्त को भेजी जा रही है।