- 10 वर्षो में बढ़ी है करीब दो लाख जनसंख्या, आवास बनाने की रफ्तार है कम
- आर्थिक स्थिति और शहरी एरिया में जगह की कमी से नहीं बन पा रहे हैं आवास
BAREILLY:
एक अदद आवास की ख्वाहिश सबकी होती है। पर सबका अपना आवास हो यह कतई मुमकिन नहीं। पेयजल, भोजन या अन्य सामग्रियां दुकान से लेकर पूरी की जा सकती हैं। लेकिन आवास बनाने के लिए जमीन और काफी रकम की जरूरत को देखते हुए आवास सीमित ही बनाए जा सकते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने खाद्यान्न और पेयजल पर कब्जा तो जमा ही लिया है और अब जमीन भी कम पड़ रही है। बढ़ती आबादी को आवास मुहैया कराने में सरकारें भी नाकाम हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आज आपको 'ए बिलियन स्क्रीम्स' मुहिम के तहत आवास की आस पूरी करने में जनसंख्या किस तहर समस्या बन रही है। आइए आपको बताते हैं
40 हजार को आवास की आस
बरेली विकास प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2006 में की गई जनगणना के मुताबिक जिले में करीब 197 अवैध कॉलोनियां और 94 मलिन बस्तियां हैं। कॉलोनियों में रहने वालों के पास मकान है लेकिन उनके पास बीडीए की ओर से पास मैप नहीं है। जबकि मलिन बस्तियों में रहने वाले अनुमानित 40 हजार परिवारों को आवास की जरूरत है। जिसमें एक निश्चित क्षेत्र में आवास बनाने के लिए जगह और आवास बनाने में बजट का अभाव है। इन मलिन बस्तियों में वह लोग रह रहे हैं जो रोजगार के लिए दूसरे शहरों या राज्यों से आकर बसे हैं और आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वहीं, बरेली के मूल परिवारों की भी बढ़ती जा रही जनसंख्या कहीं न कहीं अपने आशियाने बनाकर जमीन का दोहन करते जा रहे हैं।
,
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण
- 2016 में पीएमएवाई का शुभारंभ
- 37 सौ आवास देने का लक्ष्य
- 16 सौ को पहली किस्त जारी
- 4 सौ को दूसरी किस्त हुई जारी
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी
- 4 हजार आवेदन डूडा में हुए
- 18 सौ के आवेदन हुए निरस्त
- 1 हजार का हो चुका है सर्वे
- 1 अगस्त तक चलेगा सर्वे
- 1 सितंबर से मिलेगी सब्सिडी
कांशीराम आवास योजना शहरी
- 2010 में योजना का शुभारंभ
- 2011 में रामगंगा में बने आवास
- 12 सौ लोग हुए लाभान्वित
- 8 सौ पर फर्जीवाड़ा का आरोप
- 450 लाभार्थियों का लाभ निरस्त
रामगंगा नगर आवास योजना
- 2004 में योजना का शुभारंभ
- 4 गांव की जमीन पर अधिग्रहण
- 15 सौ आवास बनाने का था लक्ष्य
- 2006 से जमीन अधिग्रहण का विवाद
- 2011 में जबरन खाली कराई गई जमीन
- 2014 में 3 सौ को आवास आवंटित
- 12 सौ को आज भी आवास का इंतजार
समाजवादी आवास योजना
- 2015 में पीलीभीत बाईपास पर शुरुआत
- 4 सौ को आवास देने की थी योजना
- 143 लोंगों ने किया आवेदन, मिले आवास
- 247 आवासों को लाभार्थी का है इंतजार
- 25 लाख से है बने आवासों की कीमत
शहरी परिक्षेत्र का हाल
- 106.43 वर्ग किमी है नगर का क्षेत्रफल
- 4 सौ से ज्यादा वर्ग किमी बीडीए का क्षेत्र
- 2011 की जनगणना में 9 लाख थी आबादी
- 2017 में 10 लाख से ज्यादा का है अनुमान
- 197 हैं अवैध कॉलोनियां
- 94 हैं मलिन बस्तियां
- 40 हजार परिवार को चाहिए आवास
- 4 योजनाएं चारों हुई हैं फ्लॉप
निर्धन परिवारों के लिए संचालित हुई कांशीराम आवास योजना अब बंद हो गई है। नई योजनाओं में बगैर एकमुश्त रकम के आवास मुहैया नहीं कराया जा सकता है। सरकार का जैसा आदेश हो वही फॉलो किया जाता है।
सुरेंद्र कुमार, सचिव, बीडीए