7वीं आर्थिक जनगणना 2019 के लिए संपन्न हुआ प्रशिक्षण

प्रभारी सीडीओ नोडल अधिकारी, जल्द शुरू होगा सर्वे

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MEERUT : जनपद के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में जून माह के अंत से सातवीं आर्थिक जनगणना 2019 शुरू होगी. जनगणना के तहत सही आंकड़े जुटाने को लेकर अब विभिन्न उद्यमों का विवरण मोबाइल ऐप के जरिए एकत्र किया जाएगा. इसके लिए कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मेरठ में प्रभारी सीडीओ भानु प्रताप सिंह को नोडल अधिकारी बनाया गया है.

प्रशिक्षण हुआ संपन्न

प्रभारी सीडीओ ने बताया कि गत दिनों आर्थिक जनगणना को लेकर कर्मचारियों/अधिकारियों का प्रशिक्षण संपन्न करा दिया गया. प्रशिक्षण में आर्थिक जनगणना सर्वे को लेकर सभी सीएससी कर्मचारियों को प्रोजेक्ट के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया.

 

यहां होगा सर्वे

भारत सरकार आमजन की तरह ही जनपद में चल रही दुकानों, कंपनियों, मिलों और छोटे-बड़े व्यापारियों द्वारा किए गए व्यापार का ब्यौरा एकत्र करती हैं. कई दुकानदार ऐसे भी होते हैं जो घर से ही व्यापार करते हैं, इन सभी उद्यमों का डाटा जनगणना के दौरान एकत्र किया जाएगा.

 

मोबाइल के जरिए एकत्र होगा डाटा

-आर्थिक जनगणना के दौरान डाटा कार्मिक को अपने मोबाइल के जरिए एकत्र करना है.

 

-प्रतिदिन एकत्र डाटा की एनआईसी के जरिए भारत सरकार के पोर्टल पर फीडिंग होगी.

 

-इस सर्वे की निगरानी के लिए डीएम अनिल ढींगरा ने एक कमेटी बना दी है.

 

-सर्वे कार्य के दौरान जहां शहरी क्षेत्र के एक सुपरवाइजर के नेतृत्व में कर्मचारी सर्वे करेंगे.

 

-वहीं ग्राम पंचायत में सर्वे के लिए भी कर्मचारी तैनात होंगे.

 

आर्थिक गणना को समयबद्ध रूप से कर लें, ताकि उसके अनुरूप विकास योजनाएं बनाई जा सकें. मेरठ में जून माह में ही आर्थिक आधार पर जनगणना को आरंभ कर दिया जाएगा.

-भानु प्रताप सिंह, प्रभारी सीडीओ, मेरठ

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इनसेट

पहली बार पेपरलेस सर्वे

यह पहली बार है जब पूरी तरह पेपरलेस आर्थिक आंकड़े जुटाए जाएंगे. इससे सर्वे का काम महज छह माह में पूरा किया जा सकेगा जिसमें अभी तक दो वर्ष का समय लगता है. डाटा जुटाना आसान होने से भविष्य में यह सर्वे हर दो वषरें पर किया जा सकेगा. जो अभी 10 साल में किया जाता है.

 

प्रति परिवार मिलेंगे 20 रुपये

सर्वे में शामिल गणनाकारों को मेहनताने के रूप में प्रति परिवार 15-20 रुपए दिए जाएंगे. अनुमान है कि सर्वे में देशभर के करीब 20 करोड़ परिवार गणना में शामिल होंगे. इस पर करीब 300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.