-एक फूड सप्लाई चेन सिस्टम सेंटर पर खर्च होंगे 215 करोड़

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क्कन्ञ्जहृन्: केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना के प्रभावी क्रियान्वयन में 4600 करोड़ की वित्तीय मदद दी है। यह राशि राज्य सरकार को आवंटित हो गई है। इतना ही नहीं, केंद्र ने पूर्व के बकाया राशि 356 करोड़ रुपए का भी आवंटन शीघ्र करने का आश्वासन दिया है। केंद्र से पैसों का इंतजाम होते ही खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने अनाज योजना के क्रियान्वयन और उसकी बेहतर मॉनीट¨रग को लेकर नई प्लानिंग की कवायद तेज कर दी है।

6 जिलों में ढूंढ़ रहे जमीन

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के मुताबिक इस साल खाद्य सुरक्षा योजना को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सभी 38 जिलों में डिस्ट्रिक्ट फूड सप्लाई चेन सिस्टम सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसके लिए 32 जिलों में जमीन उपलब्ध हो गया है। शेष छह जिलों में जमीन चयन की प्रक्रिया जिलाधिकारी के स्तर से जारी है। विभाग का दावा है कि अनाज योजना के फूलप्रूफ कार्यान्वयन, प्रभावी मॉनीट¨रग तथा अनाज का लीकेज रोकने के लिए प्रशासनिक तंत्र और विकसित करने का पूरा खाका तैयार किया गया है जिस पर राज्य खाद्य निगम के स्तर से कार्य आरंभ किया गया है। विभागीय अधिकारी के मुताबिक चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने बिहार के प्रति खासी राशि उपलब्ध कराने में दरियादिली दिखाई है। पहले के करीब 5500 करोड़ रुपए का बकाया जो केंद्र के पास था उसमें से भी करीब 4600 का आवंटन दे दिया है।

कम्प्यूटराइजेशन पर खर्च होंगे 76 करोड़ रुपए

विभाग द्वारा सभी 55600 पीडीएस दुकानों का कम्प्यूटराइजेशन का काम तेज किया जा रहा है। इस पर करीब 76.80 करोड़ रुपए खर्च होंगे। नई व्यवस्था से लाभुकों को अनाज उपलब्ध कराने संबंधी व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। प्रशासनिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के मद्देनजर एसएफसी में दो प्रमुख शाखाएं बनाई गई हैं। पहली शाखा को खाद्यान्न वितरण और दूसरी शाखा को खाद्यान्न अधिप्राप्ति का जिम्मा सौंपा गया है। साथ ही नए साल में अब जिलों के प्रशासनिक ढांचे पर फोकस करने का भी लक्ष्य है।

बहाल होंगे 150 से अधिक प्रोफेशनल

पहली बार खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर सरकार ने एसएफसी की प्रशासनिक संरचना में निदेशक पर्षद गठित किया गया है। इसमें विभिन्न पदों पर करीब 150 से अधिक प्रोफेशनल आउटसोर्स से बहाल किए जाएंगे। ऐसे पदाधिकारी जिला से लेकर मुख्यालय स्तर तक तैनात होंगे और ट्रेंड होंगे।