-प्रदेश की कई अदालतों ने हुनर देख 1 करोड़ का फर्नीचर बनाने के दिए ऑर्डर

-स्किल ऑफ कम्युनिटी डेवलपमेंट के तहत करीब 100 कैदी बने फर्नीचर कारीगर

<-प्रदेश की कई अदालतों ने हुनर देख क् करोड़ का फर्नीचर बनाने के दिए ऑर्डर

-स्किल ऑफ कम्युनिटी डेवलपमेंट के तहत करीब क्00 कैदी बने फर्नीचर कारीगर

BAREILLY:

BAREILLY:

सच है, हुनर मजबूरियों का मोहताज नहीं होता। शायद यही वजह रही कि बरेली सेंट्रल जेल में बन्दियों के हुनर को ऊंची चहारदीवारी भी कैद नहीं कर सकी। बरेली की सेंट्रल जेल में इन दिनों करीब क्900 कैदी व बन्दी हैं। इनमें रामपुर सीआरपीएफ काण्ड के आरोपी आतंकी के साथ ही कुख्यात डॉन बबलू श्रीवास्तव भी शामिल हैं, लेकिन आतंकी-माफिया के बीच जेल में करीब क्00 ऐसे बन्दी भी हैं, जो फर्नीचर बनाकर अपने आने वाले कल को संवारने की कोशिशों में जी-जान से जुटे हैं। इन बन्दियों के तैयार किए गए फर्नीचर की डिमांड न सिर्फ शहर में बल्कि अन्य जिलों के सरकारी विभागों में भी बढ़ने लगी है। बन्दियों के बनाए फर्नीचर की बढ़ती डिमांड के चलते इस बार सेंट्रल जेल को करीब एक करोड़ के फर्नीचर सप्लाई का ऑर्डर मिला है।

अदालतों में दिख्ोगी मेहनत

जिन हाथों में चाकू और तमंचा लेने पर घर-समाज से दूर जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। उन्हीं हाथों में हथौड़ी-आरी लेकर इन बन्दियों ने अपराध पर सजा देने वाली प्रदेश भर की अदालतों में भी अपने हुनर का लोहा मनवा दिया। भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के स्किल ऑफ कम्युनिटी डेवलपमेंट के तहत जेल के अंदर बनी वर्कशॉप में यह बन्दी मामूली लकड़ी को सुंदर फर्नीचर का रूप दे रहे। इन बन्दियों के हुनर और मेहनत का ही नतीजा है कि इस बार प्रदेश की कई अदालतों से सेंट्रल जेल को करीब एक करोड़ के फर्नीचर ऑर्डर मिला है। इनमें शाहजहांपुर, हरदोई, बदायूं, देवरिया, उरई, हापुड़, रामपुर और मुरादाबाद की अदालतें शामिल हैं। इन अदालतों में बरेली सेंट्रल जेल में बन्दियों का बनाया फर्नीचर जैसे कुर्सी, मेज, बैंच, रैक, स्टूल और सेंट्रल टेबल का इस्तेमाल होगा।

पिछले साल कमाए क्ख् लाख

सेंट्रल जेल अधीक्षक ने बताया कि बन्दियों के बनाए गए फर्नीचर से पिछले साल जेल को क्ख् लाख का फायदा हुआ था। इस पैसे को बंदी कल्याण कोष में ही जमा कराया जाता है। वहीं जरूरत पड़ने पर बन्दियों के लिए ही इस पैसे को खर्च किया जाता है। इस समय सेंट्रल जेल के बन्दी फर्नीचर और गोशाला डेयरी के काम से जुडे़ हैं। जो बन्दी गोशाला में काम करते हैं उन्हें इसके बदले रुपया मिलता है। साथ ही, जो बन्दी सेंट्रल जेल में बीमार होते हैं उन्हें जेल से दूध भी पीने को मिल जाता है। इस समय गोशाला से करीब सवा सौ लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। जेल अधीक्षक ने बताया कि अभी एक एनजीओ के जरिए बन्दियों को कम्प्यूटर की शिक्षा देने की योजना पर भी विचार चल रहा है जल्दी ही बन्दियों को कम्प्यूटर शिक्षा मिलनी शुरू हो जाएगी।

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जेल के करीब क्00 बन्दी फर्नीचर बनाने के काम में लगे हुए हैं। सेंट्रल जेल को एक करोड़ का ऑर्डर मिला है। इससे रिहाई के बाद बन्दियों को मुख्य धार से जोड़ने में भी मदद मिलेगी।

पीएन पाण्डेय सेंट्रल जेल अधीक्षक