Jail में रख रहे navratri fast
सेंट्रल जेल में अधिकांश बंदी सजाए-आफ्ता हैं। हाल में यहां 1920 बंदी सजा काट रहे हैं। 11 अप्रैल से शुरू हुए नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में कैदी व्रत रह रहे हैं। ऊपर वाले की अदालत में अपनी सजा माफी के लिए वे देवी मां के दरबार में आस्था में डूबे नजर आ रहे हैं। मंडे को सेंट्रल जेल में 682 कैदियों ने स्कंद माता के लिए पांचवां व्रत रखा। इस समय जेल का माहौल भक्ति और आस्था से सराबोर हो गया है। भजन-कीर्तन के भक्तिमय वातावरण को देख ऐसा लग रहा है कि वह जेल में नहीं, बल्कि मां के दरबार में पहुंच गए हैं।
दोनों टाइम होती है आरती
सुबह शंख बजाकर कैदी अपने व्रत की शुरुआत करते हैं। उसके बाद मॉर्निंग छह बजे से ही कैदी जेल के अंदर बने मंदिर पर जमा होना शुरू जाते हैं। सात बजे से पंडित शिव नरायन मंदिर पर मां की आरती आरती करते हैं। सैकड़ों कैदी मां की आरती लेने के बाद भजन-कीर्तन में लीन हो जाते हैं। दोपहर तीन बजे सभी भक्त दोबारा से भजन-कीर्तन के लिए जमा होते हैं। जो कैदी व्रत नहीं हैं वे भी आरती और भजन-कीर्तन में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। शाम को फिर  एक बार शंख बजाने के साथ ही सात बजे आरती की जाती है।
पहले दिन थी संख्या अधिक
11 अप्रैल नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का फास्ट रखने वाले कैदियों की संख्या 850 थी। दूसरे दिन भी करीब 690 कैदियों ने व्रत रखा। पहले दिन व्रत रखने वालों की संख्या इसलिए अधिक थी, क्योंकि बहुत से कैदी नौ दिनों का फास्ट न रखकर नवरात्रि के पहले और अंतिम दिन का फास्ट रखेंगे। करीब 690 कैदियों ने नौ दिनों का फास्ट रखा है।
Jail administration  भी दे रहा सुविधाएं
कैदियों की भक्ति और आस्था को देख सेन्ट्रल  जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वीआर वर्मा भी उनके लिए बेहतर से बेहतर सुविधा देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने भजन-कीर्तन और प्रसाद के लिए सामग्री तैयार करके दे रहे हैं। फास्ट रखने वाले कैदियों के लिए डेली फलों का विशेष इंतजाम भी किया है।

Fast में मिल रही dite
आलू-  500
चीनी-  100
दूध-   250
फल-  250
चाय-   01

मां से मांग रहे माफी
सेंट्रल जेल में दस साल से बंद हं। मामूली विवाद में गुस्सा आने से जिंदगी में तूफान आ गया। यदि मैं उस समय क्रोध को पी जाता तो शायद अपने परिवार में होता। मां के दरबार में गुनाहों की माफी के लिए विनती कर रहे हैं।
-जोगेन्द्र सिंह
जेल प्रशासन ने अच्छे व्यवहार और पढ़े होने की वजह से ऑफिस में काम पर लगा दिया है। भगवान के दरबार में मन लगाने से शायद भगवान की अदालत में माफी मिल जाए.
-विमल कुमार

ब्लड यंग होता है तो अच्छाबुरा नहीं सोचता, लेकिन कहते हैं कि भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती। जो गलत किया है उसकी सजा भुगत रहा हंू, लेकिन ऊपर वाले की अदालत में निर्दोष साबित होने के लिए मां से विनती कर रहा हूं।

-हरि सिंह 

दिनभर की दिनचर्या में मैं जेल के अंदर ही टाइम देता हूं। सभी कैदी यहां परिवार की तरह ही रहते हैं। सभी त्योहार को मिलजुलकर मनाते हैं। नवरात्रि में फास्ट रख रहे कैदियों के लिए अलग से डाइट दी जा रही है।
-वीआर वर्मा, वरिष्ठ अधीक्षक सेन्ट्रल जेल

By- matauddin.khan@inext.co.in