1984 से शुरु हुआ सफर
मैनेजमेंट कॉलेज से मास्टर्स डिग्री लेने के बाद चंदा कोचर ने बैंकिग सेक्टर की तरफ रुख किया। साल 1984 में Industrial Credit and Investment Corporation of India (ICICI) ग्रुप में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में उनका करियर शुरु हुआ। इस दौरान उन्होंने कई बेहतरीन प्रोजेक्ट्स की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद कई सालों तक ICICI ग्रुप में लगन से काम करते रहने के कारण 1993 में उन्हें ICICI बैंक की कोर टीम का हिस्सा बना दिया गया। चंदा कोचर को यहां असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद पर प्रमोट किया गया। इसके बाद जैसे उनकी करियर को नई उड़ान मिल गई हो। 1994 से लेकर 2008 तक पांच लगातार प्रमोशन के बाद उन्हें आखिरकार एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर की कुर्सी मिल ही गई। यह उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा था कि, आज ICICI भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट सेक्टर बैंक बन चुकी है।

सम्मान और उपलब्धि
साल 2015 में टाइम मैग्जीन ने चंदा कोचर को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्ितयों में रखा है। यही नहीं फोर्ब्स ने भी उन्हें दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं में माना है। साल 2015 में जारी फोर्ब्स की इस लिस्ट में चंदा कोचर को दुनिया की 35वीं सबसे ताकतवर महिला के रूप में पहचान मिली। इसके अलावा फोर्ब्स ने चंदा को एशिया की सबसे पावरफुल वुमेन में नामित किया है। चंदा कोचर की लीडरशिप का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, ICICI बैंक ने 2001,2003, 2004, 2005 में 'Best Retail Bank in India' का खिताब जीता है। ऐसे में चंदा कोचर की उपलब्धि और बढ़ जाती है।

10 साल पहले कर ली थी इंट्री

ICICI भारत में प्राइवेट सेक्टर का सबसे बड़ा बैंक है जोकि 17 देशों में है। अभी कुछ महीने पहले ही पीएम मोदी के चीन दौरे पर ICICI बैंक की नई शाखा का उद्घाटन किया गया था। वैसे चीन में 10 वर्ष पहले ही इस बैंक ने अपनी शाखा खोल ली थी। बैंक का मानना है कि भारत-चीन के बीच बढ़ने वाली व्यापारिक गतिविधियों की संभावना को देखते हुए उसने शंघाई में शाखा खोली है। बैंक द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार शंघाई की शाखा के लिए चीन की नियामक प्रधिकरण से ICICI को मार्च में अनुमति मिली थी। बैंक का लक्ष्य भारत-चीन के बीच बढ़ रहे सीमा पार व्यापार के दौरान व्यापारियों को लाभ पहुंचाना है।

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