जागरुकता के अभाव में आखिरी स्टेज पर हॉस्पिटल पहुंचती हैं महिलाएं

महिलाओं का पैप स्मीयर व कोल्पोस्कोपी परीक्षण सरकारी हॉस्पिटल में कराने का नियम बने

ALLAHABAD: यह चौंकाने वाला विषय है कि देश में हर साल पचास हजार महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से होती है। इस बीमारी के हर साल दो लाख नए मरीज हॉस्पिटल्स में दस्तक देते हैं। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ। शैलेष पुंतांबेकर ने शनिवार को जीवन ज्योति हॉस्पिटल में आयोजित वर्कशॉप में यह जानकारी देते हुए बताया कि इस फिगर में शामिल 25 फीसदी मरीज सर्वाइकल कैंसर के होते हैं। इसका इलाज सर्जरी के जरिए संभव है। इसका उन्होंने लाइव डिमांस्ट्रेशन भी किया।

भावी डॉक्टस को दिए टिप्स

एमएलएन मेडिकल कॉलेज के प्रीतमदास ऑडिटोरियम में अपने लेक्चर के दौरान डॉ। पुंतांबेकर ने कहा कि लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के जरिए हम कैंसर सेल्स को ठीक से देखकर निकाल सकते हैं। इसमें खून कम निकलता है और मरीज जल्दी ठीक होकर घर चला जाता है। उन्होंने खुद के जरिए इजाद की गई पुणे टेक्निक सर्जरी के बारे में कहा कि यह छह आसान स्टेप्स में सीखी जा सकती है। इस तकनीक से अब तक एक हजार मरीजों की सफलतापूर्वक सर्जरी की जा चुकी है।

ये नियम भी बनने चाहिए

उन्होंने कहा कि देश में चालीस साल से ऊपर की महिलाओं का पैप स्मीयर व कोल्पोस्कोपी परीक्षण हर सरकारी हॉस्पिटल में किए जाने का नियम बन जाना चाहिए। इससे सर्वाइकल कैंसर के लक्षण शुरुआती दौर में सामने आने पर मरीज की जान बचाई जा सकेगी। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। एसपी ंिसंह, डॉ। शबी अहमद, डॉ। एके बंसल, डॉ। वंदना बंसल, डॉ। अर्पित बंसल, डॉ। प्रबल नियोगी आदि मौजूद रहे।