दिव्य कुंभ पर ग्रहण, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में शाही स्नान के बहिष्कार का ऐलान

अखाड़ों की सुविधा को लेकर शासन और प्रशासन की हीलाहवाली से बढ़ा आक्रोश

श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा मुख्यालय में हुई बैठक, सभी अखाड़े एकमत

ALLAHABAD: संगम की रेती पर अगले वर्ष कुंभ मेला का आयोजन होने जा रहा है। इसको भव्य और दिव्य बनाने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार वायदा कर रही हैं लेकिन दिव्य कुंभ पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह यही है कि देश के 13 अखाड़ों के लिए संत निवास व भोजन भंडारे के लिए मांगी गई सुविधा को लेकर स्थानीय प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार की ओर से लगातार की जा रही हीलाहवाली से अखाड़ा परिषद आक्रोशित है। शुक्रवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा के मुख्यालय में हुई बैठक में कुंभ के दौरान शाही स्नान के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित किया गया।

महंत प्रेम गिरि ने रखा था प्रस्ताव

अखाड़ा परिषद की बैठक के दौरान कुंभ मेला में शाही स्नान के बहिष्कार का प्रस्ताव श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष महंत प्रेम गिरि ने रखा। जिसका समर्थन श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा के महामंत्री महंत सत्य गिरि ने किया। फिर उपस्थित अखाड़ों के संत-महात्माओं ने विचार विमर्श के बाद स्नान के बहिष्कार के प्रस्ताव का सर्वसम्मति से पारित किया।

अब नहीं लेंगे कोई सुविधा

बैठक के दौरान संत-महात्माओं के निशाने पर प्रदेश की योगी सरकार और स्थानीय प्रशासन रहा। अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव महंत हरी गिरि ने दो टूक कहा कि स्थानीय अधिकारी शासन को बरगला रहे हैं और सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है। जबकि कुंभ मेला शुरू होने में नौ महीने का ही समय बचा हुआ है। इसीलिए हम सब ना तो शाही स्नान करेंगे और ना ही सरकार से कोई सुविधा लेंगे।

बहिष्कार की मुख्य वजहें

अखाड़ों को जमीन आवंटन व पक्के निर्माण जैसे प्रस्ताव पर अभी तक कोई रिस्पांस नहीं मिला

उप्र सरकार से एक साल से सुविधाओं की मांग को लेकर वार्ता की गई, ज्ञापन सौंपा गया लेकिन अभी तक आश्वासन ही मिल रहा है।

कुंभ मेलाधिकारी और इलाहाबाद के कमिश्नर द्वारा अभी तक किसी कार्य के लिए लिखित आश्वासन नहीं दिया गया।

-कुंभ के कार्यो पर नजर रखने के लिए अभी तक निगरानी कमेटी का गठन नहीं किया गया। जिसमें सभी अखाड़ों से एक-एक सदस्य, आचार्य बाड़ा व दंडी बाड़ा से एक-एक सदस्य को शामिल किए जाने की मांग की गई थी।

उदाहरण के तौर पर रखी बात

उज्जैन में वर्ष 2016 में हुए सिंहस्थ कुंभ से एक साल पहले ही मप्र सरकार ने संत निवास व भोजन-भंडारे की व्यवस्था कराना शुरू कर दिया था

मप्र सरकार के एक मंत्री सप्ताह में दो बार अखाड़ों के प्रतिनिधियों से मिलने आते थे

सबके साथ बैठ कर समस्याएं पूछने के साथ उसका समाधान देने की कोशिश करते थे।

न तो सरकार सुनवाई कर रही है न ही स्थानीय प्रशासन किसी कार्य को कराने के लिए अभी तक लिखित आश्वासन दे पाया है। इससे अखाड़ा परिषद आक्रोशित है। इसीलिए शाही स्नान के बहिष्कार करने का और सरकार से किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं लेने का प्रस्ताव पारित किया गया है.-महंत नरेन्द्र गिरि,

अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद