ये है नवदुर्गा का मुहूर्त

भारतीय समयानुसार, प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ 7 को अप्रैल, 2016 को 16:53 बजे से होगा और इस तिथि की समाप्ति 8 अप्रैल, 2016 को 13:05 बजे होगा।पूजन आदि में मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है। आईए आप को बताते है कि आठ अप्रैल को इस पूजा के लिए कलश स्थापना या घट-स्थापना का मुहुर्त क्या है और इन नौ दिनों देवी दुर्गा के भक्त उनके किन-किन रूपों की पूजा करते हैं। पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना मुहूर्त 11:57 से 12:48 बजे शुभ माना गया है। यह केवल 50 मिनट्स की होगी। ध्यातव्य है कि कलश स्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि के अभिजीत मुहूर्त के दौरान निर्धारित है।

 

भक्तगण ऐसे करें आदि शक्ति की उपासना

- नवरात्रि का पहला दिन 8 अप्रैल 2016 शुक्रवार को है। इस दिन भक्त घट-स्थापना के साथ नवरात्र का आरम्भ होता है। नवरात्र के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है।

- नवरात्रि दूसरा दिन 9 अप्रैल 2016 शनिवार को पड़ेगा। इस दिन भक्तगण ब्रह्मचारिणी पूजा करते हैं। इस दिन माता के आदि शक्ति रूप चंद्रघंटा पूजान किया जाता है।

- नवरात्रि तीसरा दिन 10 अप्रैल 2016 रविवार को है। इस दिन भक्तगण स्वच्छ वस्त्र आदि धारण कर माता के कुष्मांडा रूप की पूजा अर्चना करते हैं। माता पर गुड़हल के पुष्प चढ़ाए जाते है।

- नवरात्रि चौथा दिन 11 अप्रैल 2016 सोमवार को हैं। भक्तगण स्नान ध्यान कर आदि शक्ति के स्कंदमाता रूप की उपासना करते हैं। माता के इस रूप की उपासने करने से मनुष्य हर प्रकार के क्लेश से मुक्त होता है।

- नवरात्रि पांचवां दिन 12 अप्रैल 2016  यानी मंगलवार को है। इस दिन भक्तगण माता के कात्यायनी रूप की पूजा करते हैं। माता कात्यायनी शुभ लाभ प्रदान करने वाली हैं।

- नवरात्रि छठा दिन 13 अप्रैल 2016 बुधवार को है। इस दिन भक्त माता के कालरात्रि रूप की उपासना करते हैं। माता का यह रूप तांत्रिकों के लिए भी फलदाई है। इस दिन अघोरी अपना तप करते हैं।

- नवरात्रि सातवां का दिन 14 अप्रैल 2016 गुरुवार को है। इस दिन भक्तगण माता के तीन रूपो की उपासना करते हैं। जिसमें  महागौरी पूजा दुर्गा महाअष्टमी पूजा सरस्वती पूजा की जाती है।

-नवरात्रि का आठवां दिन 15 अप्रैल 2016 शुक्रवार को है। इस दिन को भक्त राम नवमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन प्रभु श्रीराम की पूजा अर्चना कर ध्वज पूजन आदि किया जाता है।

-नवरात्रि का नौवां दिन 16 अप्रैल 2016 शनिवार को है। इस दिन भक्तगण अपने घर में माता का प्रतीक यानी ज्वारे बोते हैं उन्हें नदी या किसी सरोवर के स्वच्छ जल में प्रवाहित किया जाता है। व्रत रखने वाले भक्त इस दिन माता का प्रसाद ले व्रत तोड़ते हैं।

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