-18 मार्च से नव संवत्सर 'विरोध-कृत' की हो रही है शुरुआत

-पिता राजा होंगे सूर्य और पुत्र मंत्री होंगे शनि देव

-दोनों ग्रहों का आपसी दुराव, प्रजा के लिए साबित होगा कष्टप्रद

-बाढ़, भूकंप और बड़े घोटालों से जनता होगी परेशान

 

सूर्य व शनि में रहता है विरोध
ज्योतिषविद् पं। चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि ग्रहों की स्थिति का सीधा असर पृथ्वी पर रहने वालों पर पड़ता है। सूर्य और शनि दोनों में आपस में बनती नहीं है। हालांकि दोनों ही ग्रह प्रजा के लिए अच्छे हैं। सूर्य तो प्रजा पालक हैं ही और शनि न्यायप्रिय ग्रह है। पर इन दोनों के बीच का मतभेद प्रजा को कष्ट देगा। लेकिन इसके साथ ही भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। क्योंकि मंगल धनेष है। मंगल कारक राशि में बैठे होने के कारण धन की वर्षा करेगा। पर पूर्वोत्तर राज्यों में भयंकर बाढ़ की स्थिति बन रही है। इसी तरह पश्चिमोत्तर राज्यों में भूकंप से व्यापक होने की आशंका है। इन सबके अलावा इस वर्ष बड़े घोटाले सामने आयेंगे। शनि का यह प्रभाव होगा। लेकिन राजा पर इसका कोई असर नहीं दिखायी देगा। राजनीतिक दृष्टि से भी सत्तापक्ष के लिए नुकसान की आशंका बन रही है।

 

विचारों में होगा मतभेद
राजा और मंत्री दोनों में मतभेद है। जिसके चलते प्रजा उनके द्वारा किये गये कार्यो से प्रभावित होगी। ज्योतिषविद् पं। विमल जैन बताते हैं कि सूर्य शनि देव के पिता हैं। पर पिता पुत्र में सामंजस्य का अभाव है। दोनों का आपसी विरोध प्रजा के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। जैसा कि सम्वत का नाम ही बता रहा है विरोध की प्रवृति अधिक होगी। प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहेगी। राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा होगी।

पहला दिन तय करता है राजा
पं। चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि वासंतिक नवरात्र का पहला दिन ही राजा तय करता है। इस बार नवरात्र की शुरुआत 18 मार्च, रविवार को हो रही है। इस तरह से नव सम्वत् का राजा सूर्य होगा। इसी तरह मंत्री का नाम मेष संक्रांति सतुआ संक्रांति से तय होता है। इस बार मेष संक्रांति शनिवार को पड़ रही है जिससे मंत्री शनि होगा।

आठ दिनों का है नवरात्र
शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती की आराधना के पर्व वासंतिक नवरात्र की शुरुआत 18 मार्च, रविवार से हो रही है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार नवमी तिथि का क्षय होने के चलते इस बार नवरात्र आठ दिनों का होगा। 17 मार्च की शाम प्रतिपदा तिथि 6.42 बजे से शुरू होकर अगले दिन 18 मार्च को 6.33 बजे तक रहेगी। नवरात्र का समापन रामनवमी पर 25 मार्च को हवनोपरांत होगा। नवरात्र व्रत का पारन दशमी को उदयातिथि के अनुसार 26 मार्च को किया जायेगा।