- उड़ीसा के गोटीपुआ और राजस्थान के तेरहताली नृत्य से हुई शुरुआत

- संगम किनारे हुआ देश की अलग-अलग संस्कृतियों का संगम

<- उड़ीसा के गोटीपुआ और राजस्थान के तेरहताली नृत्य से हुई शुरुआत

- संगम किनारे हुआ देश की अलग-अलग संस्कृतियों का संगम

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ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: माघ मेला क्षेत्र में बसे धर्म, आस्था की नगरी में मंगलवार को चलो मन गंगा यमुना के तीर कार्यक्रम के साथ संस्कृति का संगम हुआ. जहां अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों ने अपने-अपने राज्य की संस्कृति का रंग बिखेरा.

मंगलध्वनि से हुई शुरुआत

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद की ओर से संगम किनारे आयोजित क्ख् दिवसीय चलो मन गंगा-यमुना तीर कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व न्यायमूर्ति जस्टिस गिरिधर मालवीय ने दीप प्रज्जवलित कर किया. दीप प्रज्जवलन के बाद राग वाराणसी के सुप्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद फतेह अली खान के मधुवंती की मांगलिक ध्वनि में कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के आचार्य पंडित विद्याधर मिश्र ने विघ्नविनाशक गणेश की वंदना गाइये गणपति गज वंदन प्रस्तुत किया. इसके बाद कबीर का भजन मन राम सुमिर पछताएगा.. सुनाया.

बसंतरास और तेरहताली ने किया प्रभावित

मणिपुर से आए जगोइमरूप दल के कलाकारों ने श्री मदभागवत पुराण में वर्णित एवं चैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रतिपादित वैष्णव धर्म के अनुसार कृष्ण और गोपियों प्रेम को समर्पित सात्विक रास बसंतरास प्रस्तुत किया. देवालयों में उमड़ी आस्था की लोक भावना को समर्पित उड़ीसा का गोटीपुआ नृत्य, राजस्थान का तेरह ताली नृत्य, गुजरात का राठवानी एवं आंध्र प्रदेश का कोया नृत्य काफी पसंद किया गया.