मुझे यहां आकर नए कॅरियर ऑप्शंस जानने का मौका मिला। यहां आकर मुझे पता लगा कि हम ग्रेजुएशन के साथ भी सीए कर सकते हैं।
-वंदना गोयल
मुझे इंडियन ऑर्मी की स्टॉल बहुत अच्छी लगी है। मैंने कभी भी ये वेपंस नहीं देखे। यहां मुझे इनके बारे में पूरी जानकारी भी मिली है।
-स्वप्निल जैन
इंडियन ऑर्मी में जॉब करने का मुझे काफी क्रेज है, पर इसके बारें में जानकारी मिलना बहुत मुश्किल हो रहा था। पर यहां आकर अच्छा लगा।
-पुनीत
मुझे एजुकेशन फेस्ट में आकर काफी नई जानकारी मिली है, यहां मुझे अपने कॅरियर के बारे में चूज करने में काफी सहूलियत महसूस हो रही है।
-जसप्रीत कौर
चलते हैं हम ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं
एजुकेशन फेस्ट में इंडियन आर्मी ने भी अपना स्टॉल लगाया था। आर्मी ने पहली बार अपने वेपंस व इक्विपमेंट्स का डिस्प्ले किया। एजुकेशन फेस्ट में सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बने इस स्टॉल पर पूरे दिन स्टूडेंट्स की भीड़ लगी रही। स्टूडेंट्स ने आर्मी पर्सन से तमाम वेपंस व इक्विपमेंट्स की जानकारियां प्राप्त की।
5.56mm इंसास लाइट मशीन गन
भारत में बनी इंडियन आर्मी की यह लेटेस्ट मशीन गन है। इसे बाई पार्ट के साथ ही यूज किया जाता है। इससे एक मिनट में एक राउंड फायर किया जा सकता है। इससे 700 मीटर की रेंज तक वार किया जा सकता है।
88mm मोर्टार
यह देखने में तोप की तरह लगता है। इसका प्रयोग झुंड में बढ़ते हुए दुश्मन को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है। इससे दागा गया गोला जहां गिरता है, वहां से आठ मीटर की रेडियस में आग ही आग नजर आती है। वहां किसी का भी जिंदा बचना बहुत मुश्किल होता है। इससे अधिकतम पांच किलोमीटर की दूरी तक वार किया जा सकता है।
7.26mm ड्रैगनॉव स्निपर
रूस में तैयार यह राइफल सिंगल शॉट फायर करती है। इस राइफल का वजन 3.720 किलो और साइट का वजन 580 ग्राम होती है। इसकी ओपन रेंज 800 मीटर और विद साइट 1300 मीटर रेंज होती है। इसका प्रयोग मुख्यत: सेट टारगेट को मारने के लिए किया जाता है। इसकी खासियत इसकी एक्युरेसी है। इसे 99.99 परसेंट तक सही टारगेट को हिट किया जाता है।
7.62mm मीडियम मशीन गन
यह वही गन है जिससे भारत ने 1971 और 1965 की जंग में जीत हासिल की। इस गन से 1800 मीटर तक की दूरी तक वार किया जा सकता है।
ऑटोमेटिक ग्रेनेड लॉन्चर
जब दुश्मन ऊबड़-खाबड़ पथरीली जमीन पर छुपा होता है, जब उस पर डायरेक्ट फायरिंग नहीं की जा सकती है। उस समय इसका प्रयोग किया जा सकता है।
लॉन्चर माउंट
मिशाइल दागने के लिए बना लॉन्चर माउंट का प्रयोग टैंक और बंकरों को नष्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका वजन 28 किलोग्राम होता है।
84mm रॉकेट लॉन्चर मार्क थर्ड
10 किलो वेट वाला यह रॉकेट लॉन्चर का निर्माण स्वीडन में हुआ है। इसका यूज टैंक और दुश्मन के झुंड क ो मारने के लिए किया जाता है।
हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर
इस इमेजर का यूज रात में देखने के लिए किया जाता है। इसकी रेंज अधिकतम दो किलोमीटर तक होती है। यह हीट क ो डिटेक्ट करके टारगेट के बारे में बताता है।
84mm मल्टी शॉट ग्रेनेड लॉन्चर
यह इंडियन आर्मी का नेक्स्ट जेनरेशन वेपन है। इससे 50 से 375 मीटर तक वार किया जा सकता है। इससे पांच तरह का एमिनेशन फायर किया जा सकता है।