RANCHI: चैंबर के सालाना चुनावी महोत्सव में व्यापारिक और औद्योगिक राजनीति गरम लेकिन संयमित सी नजर आती है। भीतरखाने में चल रही हलचल ने एक तरफ जहां संभावित कैंडिडेट्स के मन में हलचल मचा दी है तो दूसरी तरफ मतदाता भी कैंडिडेट्स को लेकर दिलचस्पी दिखा रहे हैं। टीम दीपक मारू और टीम आरडी सिंह चुनावी मैदान में ऐसे नगीनों को उतारने की माथापच्ची में लगे हैं जिनकी जीत सुनिश्चित हो। वहीं मतदाताओं को हर उम्मीदवारों को तौलना भी है और पहचानना भी। साथ ही कर्मयोगी कैंडिडेट को सिर आंखों पर बैठाना भी है। चुनाव के चक्रव्यूह में उलझे कैंडिडेट्स पहले चरण में अपना टिकट सुनिश्चित करना चाहते हैं तो कई ऐसे भी पुराने जीते हुए प्रत्याशी हैं जो चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अंजलि जैन, पूनम आनंद और प्रदीप जैन जैसे अनुभवी लोगों ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है।

टीम दीपक मारू में 37 दावेदार

दीपक कुमार मारू की टीम में चुनाव लड़ने के लिए कतार लगी हुई है। जानकारी के मुताबिक, आनंद गोयल, कुणाल अजमानी, राहुल साबू, मनीष सर्राफ, प्रवीण छाबड़ा, आशीष भाटिया, सोनी मेहता सहित कई ऐसे चेहरे हैं जो टिकट की आस लगाए हुए हैं। वहीं आरडी सिंह टीम में कमल जैन, किशोर मंत्री, मुकुल तनेजा के नाम पर मुहर लगना लगभग तय है। हालांकि टीम आरडी सिंह ने अभी तक अपनी टीम को लेकर रणनीति नहीं बनाई है। किशोर मंत्री ने बताया कि चुनाव के संबंध में रविवार को उनकी टीम बैठेगी, उसके बाद ही तय हो पाएगा कि उनकी टीम के हिस्सा कौन-कौन होंगे।

आखिर अनुभवी चेहरे क्यों नहीं ले रहे दिलचस्पी

चैंबर एक ऐसा मंच है, जिसके सभी पदाधिकारी अवेतनिक होते हैं और सेवा भाव के लिए समर्पित रहते हैं। लेकिन बीते कुछ सालों से चैंबर में अनुभवी कैंडिडेट्स की दिलचस्पी कम क्यों होती जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है। तो क्या मान लिया जाए कि चैंबर में गुटबाजी हावी हो गई है? तो क्या यह कहा जाए कि चैंबर सिर्फ खुद के वर्चस्व को प्रूफ करने का एक मंच रह गया है? तो क्या ये मान लिया जाए कि चैंबर चुनाव खर्चीला होने की वजह से अनुभवी कैंडिडेट्स ने मुंह मोड़ लिया है? तो क्या ये मान लिया जाए कि अनुभवी और सीनियर व्यवसायी या उद्यमी वोटरों के पास जाकर वोट नहीं मांग सकते? या फिर वोटर भी ये चाहते हैं कि साल दर साल कैंडिडेट्स उनके दरवाजे पर आकर राजनीतिक दलों की भांति वोट की अपील करें। अगर ऐसा है तो इसपर मंथन करने की जरूरत है। चैंबर का उद्देश्य व्यवसायियों और उद्यमियों के हितों की रक्षा करना है, और चैंबर का इतिहास भी काफी गौरवपूर्ण रहा है। उसकी छवि बरकरार रखने के लिए त्याग, सेवाभाव और समर्पण के मूलमंत्रों को अपनाने की जरूरत है।