RANCHI: एडमिशन को लेकर स्टूडेंट्स को माथापच्ची न करनी पड़े, इसके लिए सरकार ने राज्य के 66 कांस्टीट्यूएंट कॉलेजों में ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था की है। पहली बार राज्य की आठ स्टेट यूनिवर्सिटीज में चांसलर पोर्टल के जरिए एडमिशन लिया जा रहा है, जो पूरी तरह से राज्य के स्टूडेंट्स के लिए सिरदर्द बन गया है। पोर्टल में चालान की राशि कटने से लेकर विभिन्न विषयों के विकल्प गायब हैं। इतना ही नहीं, जो चालान कट रहा है उसका आउटपुट भी दिखाई नहीं दे रहा है। पोर्टल में बायोटेक्नोलॉजी सब्जेक्ट में अप्लाई करने का ऑप्शन दिखाई नहीं दे रहा है।

यूनियन ने जताई थी आशंका

चांसलर पोर्टल से एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान ही पीजी स्टूडेंट्स यूनियन की ओर से तकनीकी परेशानी की आशंका जताई गई थी। उस वक्त ये कहा गया कि ट्रायल के दौरान ही सभी प्रकार की खामियों को दूर कर लिया जाएगा। लेकिन आज भी खामियों की वजह से स्टूडेंट्स परेशान हैं।

रूरल स्टूडेंट्स का ज्यादा परेशानी

सरकारी कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स रूरल एरिया से आते हैं, जिनके पास तकनीकी अनुभव काफी कम होता है। ऐसे में चांसलर पोर्टल के माध्यम से एडमिशन लेने में उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए साइबर कैफे भी मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। वहीं चालान बनाने के साथ-साथ पोर्टल में विभिन्न विकल्पों को भी तलाशने मे ंपरेशानी हो रही है, सो अलग। स्टूडेंट्स का डाटा निजी हाथों में जाने की आशंका भी जताई जा रही है।

क्या कहते हैं स्टूडेंट्स

हम ऑनलाइन का विरोध नहीं करते पर तत्काल ऑफलाइन फॉर्म भरने की व्यवस्था की जाए, ताकि यहां के गरीब स्टूडेंट्स पढ़ाई से वंचित न हो पाएं। हमने 8 मई को ही इन आशंकाओं से अवगत कराया था।

-तनुज खत्री, अध्यक्ष, रांची यूनिवर्सिटी पीजी छात्र संघ

ऑनलाइन पोर्टल बेशक, अच्छी पहल है लेकिन रूरल स्टूडेंट्स जो नई तकनीकी से पूरी तरह से अनभिज्ञ हैं, उनके लिए मुसीबत खड़ी हो रही है। साईबर कैफे में फॉर्म भरने के लिए भीड़ है और मनमाने पैसे वसूले जा रहे हैं।

- राहुल मुंडा, पीजी स्टूडेंट

पोर्टल में विकल्प की काफी कमी है। दूसरी बात ये है कि चालान जमा करने के बाद भी आउटपुट दिखाई नहीं दे रहा है, जबकि पीजी में करीब 8 हजार स्टूडेंट्स का एडमिशन होना है।

- नीरज कुमार, पीजी स्टूडेंट यूनियन