-कहा, मेरे बेटे शहीद हुए, सिवान अब आजाद है

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स्ढ्ढङ्खन्हृ/क्कन्ञ्जहृन्: अदालत में देर से सही, पर न्याय जरूर मिलता है। मेरे बेटों की जान लेने वाले शहाबुद्दीन को फांसी मिलनी नहीं चाहिए। मंगलवार को अपने तीन बेटों को खोने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व सांसद की ताउम्र सजा को बरकरार रखने के फैसले पर खुशी जताते हुए ये बातें कहीं। चंदा बाबू ने बताया कि सरकारी वकील जयप्रकाश सिंह ने मंगलवार की सुबह 6 बजे टेलीफोन पर सूचना दी कि हाईकोर्ट ने शहाबुद्दीन को जो सजा दी थी, उसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि सजा आजीवन रहे तो ठीक है, लेकिन उसे फांसी होनी चाहिए। उन्हें व उनके परिवार के सभी सदस्यों का न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। इस फैसले के बाद अदालत पर उनका भरोसा और बढ़ गया है।

सिवान की आजादी के लिए शहीद हुए मेरे बेटे

चंदा बाबू ने कहा कि हमेशा यह संदेह बना रहता था कि मामले में शहाबुद्दीन को जमानत मिल सकती है, पर सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा था कि इस मामले में न्याय जरूर मिलेगा। अपने दो बेटों को एक साथ गंवाने वाले चंदा बाबू ने कहा कि हमारे दोनों बच्चे सिवान की आजादी के लिए शहीद हुए थे, अब ऐसा लग रहा है कि हमारा सिवान आजाद हो गया है। इस बात का गम है कि मेरे तीन बेटे आज मेरे पास नहीं हैं, लेकिन संतोष है कि मुझ जैसे कई पिता अब अपने परिवार के संग हंसी-खुशी रह रहे हैं। बच्चों की याद में आज भी आंखों में आंसू हैं, संतोष इस बात का है कि हमें देर से ही सही न्याय मिल रहा है।