वृंदावन अपने अतीत के साथ मुखातिब होगा वर्तमान की ओर
पारंपरिक भारतीय स्थापत्य कला की नागरा शैली में 65 एकड़ क्षेत्र में बनने वाला यह मंदिर भारतीय स्थापत्य के गौरव को एक बार फिर से दुनिया के सामने प्रस्तुत करेगा. मंदिर परिसर में प्राचीन वृंदावन अपने गौरवशाली अतीत के साथ वर्तमान के प्रति मुखातिब हो रहा है. प्रसिद्ध द्वादश वन फिर से कृष्ण की लीला नगरी को प्रस्तुत करेंगे, तो कालिंदी भी अपने प्राचीन रूप में अपने कान्हा के निकट अठखेलियां करती नजर आएगी.

कुतुब मीनार से भी होगा तीन गुना ऊंचा
कान्हा के 'चंद्रोदय' मंदिर की आधारशिला रखने वृंदावन पहुंचे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पारंपरिक रूप से अनंत स्थापना पूजा की. वहीं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने इसे सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से जोड़ते हुए इसे एतिहासिक करार दिया. गौरतलब है कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का शिलान्यास भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था. कुतुब मीनार (72.5 मीटर) से लगभग तीन गुना ऊंचाई वाला 'चंद्रोदय' मंदिर 210 मीटर ऊंचा होगा.

क्या कहते हैं राष्ट्रपति
'चंद्रोदय' मंदिर इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कंससनेस (इस्कॉन) की अवधारणा है. शिलान्यास करने के बाद राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि ऐसे समय में जब भारत विकासशील देश से विकसित देश बनने की ओर बढ़ रहा है, हमारे समाजिक आर्थिक और नैतिक ढांचे पर दबाव बढ़ना तो स्वाभाविक है. ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है कि हम अपनी आध्यात्मिक धारा के साथ फिर से जुड़ाव स्थापित करें.

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास हैं सराहनीय
इसके लिए विश्व भर में श्रीमद् भगवद् गीता के सर्वव्यापी प्रेम और मानवता के संदेश को फैलाने से बेहतर कुछ और नहीं हो सकता. राष्ट्रपति ने 'इस्कान' की भगवान कृष्ण की शिक्षाओं के प्रसार प्रचार व उनकी 'अक्षयपात्र' योजना की सराहना भी की. राष्ट्रपति ने वृंदावन को धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाने के प्रयासों के लिए केंद्र व राज्य सरकार के प्रयासों की भी सराहना की. इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयास सराहनीय हैं.

क्या कहते हैं राज्यपाल
इस मौके पर अपनी बात रखते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा 'हम सबके भीतर एक कृष्ण हैं, यहां इस मंदिर में उनका विराट स्वरूप होगा. गीता में श्री कृष्ण की शिक्षाएं मावनमात्र के लिए हैं.' इससे पहले छटीकरा-वृंदावन रोड पर मौजूद अक्षय पात्र मंदिर पहुचने पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक व राज्य के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि कारागार मंत्री बलराम यादव ने राष्ट्रपति की अगवानी की.

राष्ट्रपति पहुंचे बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए
शिलान्यास के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राज्यपाल राम नाईक के साथ वृंदावन की घनी आबादी के बीच स्थित बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए पंहुचे. बंदरों से सुरक्षा के लिए वृंदावन की गलियों से मंदिर तक का सफर राष्ट्रपति ने शीशों से बंद गोल्फ कार्ट से पूरा किया. मंदिर में करीब बीस मिनट तक विधि-विधान से पूजा करने के बाद उनको दूध भात का प्रसाद दिया गया. यह विशेष प्रसाद बांकेबिहारी मंदिर में भगवान को अर्पित किया जाता है.

ऐसा क्या बोल दिया राज्यपाल ने...  
राष्ट्रपति से पहले बोलते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने कुछ ऐसा कह दिया कि कुछ पल को सभा में सन्नाटा हो गया. अपनी बात रखते हुए राम नाईक ने कहा कि जब यह विशाल मंदिर बनकर तैयार होगा तब पता नही प्रणब जी होंगे या नही, मै रहूंगा या नही. हालांकि, इसके ठीक बाद स्थिति को संभालते हुए उन्होंने कहा कि उनका आशय पद से था. भारतीय जीवन पद्धति में मानव को शतायु माना गया है और तक तक तो कार्य में रहना ही है. वहीं राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कहना था कि विश्व के सबसे ऊंचे मंदिर के गर्भगृह का शिलान्यास करना बेहद सम्मान और गौरव की बात है. यह एक ऐसा केंद्र बनेगा जहां से आध्यात्मिकता व शांति का संदेश पूरी दुनिया में फैलेगा.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk