पुराने बिल बुक को बदलने का है नियम
allahabad@inext.co.inALLAHABAD: एक अप्रैल 2018 से फाइनेंशियल ईयर बदलने के साथ ही व्यापारिक कैलेंडर भी बदल गया है। लेकिन कुछ व्यापारी अभी पुराने बिल बुक, टैक्स इनवायस, चालान और बिल ऑफ सप्लाई पर ही माल भेज रहे हैं, जो गलत है। यदि उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया तो सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट माल रोकने के साथ ही जुर्माना की कार्रवाई कर सकता है।

पुरानी सीरिज को किया कांटिन्यू
वैट की तरह जीएसटी में भी नए वित्तीय वर्ष में बिल बुक बदलने, पुराने बिल बुक के सीरिज को खत्म कर, नए सीरिज का बिल बुक अपनाने का नियम है। लेकिन इलाहाबाद में सैकड़ो व्यापारी वित्तीय वर्ष बदलने के बाद भी जीएसटी में इस्तेमाल बिल ऑफ सप्लाई, चालान और टैक्स इनवायस को कांटिन्यू कर रहे हैं। सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों के सामने इस तरह के कई मामले पहुंच चुके हैं।

कंपोजिशन पोर्टल किया बंद
एक तरफ जहां व्यापारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। वहीं दूसरी तरफ जीएसटी काउंसिल ने नेशनल-ई बिल पोर्टल चालू करने के बाद कंपाउंडिंग का पोर्टल बंद कर दिया है। इसकी वजह से व्यापारी परेशान हैं। कपोजिशन स्कीम में कई व्यापारी अभी भी शामिल नहीं हो सके हैं।

फाइनेंशियल ईयर बदलने के साथ ही सभी रजिस्टर्ड व्यापारियों को बिल बुक, टैक्स इनवायस का सीरिज नंबर खत्म कर नए सिरे से सीरिज जारी करनी चाहिए। लेकिन कई व्यापारी पुरानी सीरिज को ही आगे बढ़ा रहे हैं जो गलत है।
राम प्रसाद
एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2

ये बात सही है कि कुछ व्यापारियों द्वारा पुराने बिल ऑफ सप्लाई, टैक्स इनवायस और चालान सीरिज को कांटिन्यू किया जा रहा है, जो गलत है। व्यापारियों को भी अब नियमों को जानने के लिए जागरुक होना पड़ेगा, ताकि कार्रवाई से बच सकें।
संतोष पनामा
संयोजक उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति