इससे पहले अरविंद केजरीवाल की सरकार विधानसभा में जनलोकपाल बिल लाने पर अड़ी हुई है, लेकिन कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही बिल के लाए जाने के तौर-तरीक़े का विरोध कर रहे हैं.

शुक्रवार को जैसे ही दिल्ली विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक सख़्त बिल आए लेकिन उन्होंने सरकार की जमकर आलोचना की.

लवली ने कहा कि शुक्रवार प्राइवेट मेंबर बिल का दिन होता है लेकिन सरकार ने उसे बिज़नेस डे बना दिया. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जनलोकपाल बिल प्राथमिकता के अनुसार पांचवें नंबर पर है.

लवली के अनुसार सरकार ने अभी तक कांग्रेस विधायक दल के नेता हारून यूसुफ़ को जनलोकपाल बिल की कॉपी तक नहीं मुहैया कराई है.

उन्होंने कहा, ''हम भी चाहते हैं कि ऐसा बिल आए जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़े, लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार ही नहीं चाहती है.''

'भ्रम फैलाने की कोशिश'

भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता और नेता प्रतिपक्ष हर्षवर्धन ने भी सरकार की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि इस तरह का भ्रम फैलाया जा रहा है कि बीजेपी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ नहीं लड़ना चाहती है.

उनका कहना था, ''हम लोगों न कल सदन के अंदर एक कॉलिंग अटेंशन मोशन दिया था जिसके अंदर आपसे निवेदन किया था कि एक विवादित मंत्री हैं उनका आचरण विवादित है, अमर्यादित है. हम उनके आचरण को लेकर राष्ट्रपति तक गए हैं. उन्हें हटाएं और सदन में उस पर चर्चा कराएँ. मंत्री के ख़िलाफ़ जो आरोप आए हैं वो बहुत गंभीर थे. एक नेशनल टीवी ने पोर्न साइट से उनका संबंध दिखाया था.''

हर्षवर्धन ने आगे कहा, ''कल केजरीवाल ने फ़ेसबुक पर लिखा कि कल सदन के अंदर इतना हंगामा किया गया कि जनलोकपाल बिल प्रस्तुत नहीं हो सका. कल जनलोकपाल बिल एजेंडा में था ही नहीं तो बीजपी और कांग्रेस ने उसे किस तरह रोका.''

दिल्ली विधानसभाः एलजी की चिट्ठी को लेकर हंगामा,सदन स्थगित

जनलोकपाल पर पार्टी की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि दिल्ली में पहला लोकायुक्त का विधेयक बीजेपी लाई थी, देश के अंदर पहला लोयुक्त क़ानून उत्तराखंड में आया है, जहां भाजपा की सरकार थी.

हर्षवर्धन ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह बार-बार देश के सामने झूठ बोल रही है कि बीजेपी के लोग बिल नहीं लाना चाहते.

उन्होंने दावा किया, "जन लोकपाल बिल के लिए आपकी जितनी प्रतिबद्धता है उससे हज़ार गुना ज़्यादा हमारी प्रतिबद्धता है.''

बीजेपी नेता ने अपना बयान यह कहकर ख़त्म किया कि लेफ़्टिनेंट गवर्नर (एलजी) की चिट्ठी को स्पीकर सदन के सामने पढ़ें.

सोमनाथ को हटाया जाए

बहस में शामिल होते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता हारून युसूफ़ ने कहा, "सोमनाथ भारती ने जो किया था वो उसी सोच का नतीजा है जिसके तहत नार्थ इस्ट के लोगों के साथ नस्ली बरताव हुआ है. इसलिए सोमनाथ को पद से हटाया जाए."

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि कांग्रेस ने हमेशा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी है.

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए कोई भी क़ानून होगा तो कांग्रेस उसका समर्थन करेगी लेकिन अगर सदन में क़ानून की धज्जियाँ उड़ाई जाएंगी तो उसका विरोध किया जाएगा.

हारून यूसुफ़ ने कहा, "हम चाहते हैं कि सोमनाथ भारती के बरताव पर चर्चा कराएं. अगर कोई चिट्टी राज्यपाल ने भेजी है तो सबसे पहले उस पर चर्चा कराएँ."

'एलजी का अपमान बर्दाश्त नहीं'

जद-यू के विधायक शोएब इक़बाल ने रविदास जयंति की छुट्टी रद्द करने पर अफ़सोस जताया.

उन्होंने कहा, "मैं लोकपाल पर आपके साथ हूँ. लेकिन सदन एक सर्कस की तरह लग रहा है."

उन्होंने भी बीजेपी और कांग्रेस की तरह ही मांग की कि एलजी की चिट्ठी को सदन शुरू होते ही पेश किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा "आपने एलजी को जो अपमानित किया, उसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते."

शुक्रवार को सरकारी काम

लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने इन आरोपों का बचाव करते हुए कहा कि इससे पहले कई शुक्रवार, जैसे कि 22 मार्च 1996, 30 अगस्त 2013 को सरकारी विधेयक पेश हुए हैं.

उन्होंने कहा कि 17 दिसंबर 1993, 23 जुलाई 2004 को संपन्न बैठकों में अन्य सरकारी काम भी हुए हैं.

हंगामे के दौरान विधानसभा को स्थगित कर दिया गया. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने सभी पार्टी के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया है.

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